बनारस और हल्दिया के बीच वाटर हाइवे परिचालन 12 नवम्बर से / अनामी शरण बबल

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केदारनाथ और  काशी के लिए क्या है खास  प्रधानमंत्री के पास
                    दीपावली के बाद प्रधानमंत्री केदारनाथ और अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा करने वाले हैं। एक ही सप्ताह में इन दो दौरों का खास महत्व है। केदारनाथ का शीतकालीन सत्र में बंद होते कपाट पूजा में उपस्थित रहना चाहते हैं। तो वाराणसी में 12 नवम्बर को अपनी मौजूदगी में मोदीजी गंगाजल में वाटर हाईवे का उद्घाटन करेंगे। जबकि जलप्रलय से तबाह हुए केदारनाथ में नया केदारनाथ विस्तार कॉलोनी के निर्माण का शुभारंभ करेंगे।    एकाएक भारी बारिश बर्फबारी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित नौ नवम्बर   की केदारनाथ यात्रा पर सशंय के बादल मंडरा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नौ नवम्बर को शीतकालीन कपाट बंद किया जाएगा। अप्रैल में जब केदारनाथ मंदिर के कपाट को खोलने के समय भी प्रधानमंत्री मौजूद थे। उसी समय प्रधानमंत्री ने कपाट बंदी पूजा-अर्चना में भाग लेने की इच्छा प्रकट की थी। उसी समय प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदा की चपेट में नष्ट हो गये केदारनाथ के फिर से बसाने की घोषणा की थी। पिछले छह माह के दौरान नये केदारनाथ की बसावट के लिए मास्टर प्लान बनाया गया एक नयी बस्ती को आबाद करने तथा धार्मिक पर्यटकों की सुविधा साधनों का ख्याल किया जाएगा नयी कॉलोनी की बसावट को इस तरह डिजाईन किया गया है कि भारी हिमपात और जलप्रलय में भी नयी बसावट को सुरक्षित रखा जा सके। मगर पिछले तीन दिनों से पूरे इलाके में हो रही है बारिश बर्फबारी और अचानक मौसमी बदलाव से सब सकते में हैं। प्रधानमंत्री का दौरा भी फिलहाल संकट में है। हालांकि प्रशासन तमाम आपातकालीन व्यवस्था में लगी है। नौ नवम्बर को कपाट बंद होना तय है पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी को लेकर अभी सारी तैयारी अधर में लटक गया है। देश के पहले वाटर हाईवे बनारस से हल्दिया के बीच 12 नवम्बर को चालू किया जाएगा। बनारस के रामनगर में इसके मल्टी मॉडल टर्मिनल बनाया गया है। जहां से मालवाहक जहाज के आवागमन को चालू करने की हरी झंडी के साथ प्रधानमंत्री मोदी बनारस से हल्दिया तक के लिए मालवाहक जहाज को रवाना करेंगे। आरंभ में रोजाना दोनों टर्मिनल से एक – एक जहाज का आवक और रवानगी होगी । हाईवे के सुनियोजित रुट को निश्चित किया गया है। भूतल परिवहन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसमें 200 की लागत आयी है। तीन माह के परिचालन के बाद रोजाना दो दो मालवाहक जहाजों को चलाया जाएगा। इस रुट की सफलता के बाद यात्री जहाज के परिचालन पर भी विचार किया जाएगा। इस मार्ग की सफलता के बाद इसे और लंबा करने और बीच में कोई और टर्मिनल बनाकर इसका विस्तार किया जाएगा। प्रधानमंत्री की दिलचस्पी के कारण ही केवल चार साल के भीतर देश का पहला वाटर हाइवे का उपहार गंगाजल काशी को मिला है। इसका यह शहर किस तरह लाभ उठाता है?
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