साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर हेमंत करकरे की बेटी का हमला

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

मुंबई। राजनीति में क़दम रखते ही तमाम प्रत्याशी अपने आपको दूध का धुला मानने और समझने लगते हैं। अपने आपको महिमा मंडित और चरमविद्वान बताने और साबित करने के लिए अलूल जलूल तर्क बखानने में जुट जाते हैं। मालेगांव आतंकी बम ब्लास्ट कांड के मुख्य आरोपियों में एक रही कथित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी इस कांड में आरोपी हैं। भोपाल से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड रही साध्वी ठाकुर ने चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिया था। करकरे की मौत को अपने शाप के चलते बताकर साध्वी जनमानस में धार्मिक आतंक बैठाना चाहती थी कि लोग मारे डर के वोट दें। हालांकि इसकी जबरदस्त निंदा हुई। चुनाव आयोग ने कड़ी फटकार दी। मगर अब पहली बार शहीद करकरे परिवार ने साध्वी पर हमला करके उन्हें पानी पानी कर दिया।
  आखिरकार करकरे की बेटी ने चुप्पी तोड़ी है। करकरे के शहीद होने के 11 साल के बाद उनकी बेटी का कहना है कि वह चाहती है कि हर कोई इस बात को याद रखे मेरे पिता मरते वक्त भी अपने शहर और अपने देश को बचा रहे थे, उन्होंने अपनी ड्यूटी को परिवार और अपनी जिंदगी से ज्यादा महत्ता दी।  हेमंत करकरे की बेटी जुई नवारे का कहना है कि उसने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी और भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान पढ़ा है जिस तरह से उन्होंने मेरे पिता को लेकर कहा है। मैं उनके बयान की वजह से उनकी चर्चा करके उनका कद और पद नहीं बढ़ाना चाहती हूं। मैं सिर्फ हेमंत करकरे के बारे में बात करना चाहती हूं, वह मेरे लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं और हमेशा रहेंगे। शहादत के एक दशक के बाद भी उनके प्रति लोगों के मन में नाम और  सम्मान में कमी नहीं आई है। उनका नाम सम्मान के साथ लेना चाहिए। आज़ भी लोग मुंबई हादसे में अपनी जान गंवाने वाले करकरे की शहादत को नमन करते हैं। पूरा परिवार भी जनमानस की भावना के सामने अपनी व्यक्तिगत नुकसान को कम मानता है।  मगर पिता की शहादत को शाप शैतानी आत्मा, उपरी छाया माया काया के असर की मै पूरी तरह खंडित करती हूं। मेरे पिता देश समाज और नागरिकों की रक्षार्थ कोशिश करते हुए शहीद हुए, जिस पर पूरे देश को परिवार को नाज है। देश के लिए कुर्बान होना सबों को नसीब नहीं होता।
सुश्री नवारे ने कहा कि उनके पिता ने सिखाया था कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता है, कोई भी धर्म किसी को मारना कभी नहीं सिखाता है, वह इस विचारधारा को हराना चाहते थे। अपने जीवन में उन्होंने हर किसी की मदद की। मरते वक्त भी वह अपने शहर और देश को बचाने में लगे थे। वह अपनी वर्दी को बहुत प्यार करते थे, वह अपनी जान से ज्यादा अपनी ड्यूटी को निभाने पर विश्वास रखते थे, मैं चाहती हूं कि लोग उन्हें इसी तरह से याद रखें। ऐसी शहादत पर साध्वी का दुष्प्रचार साबित करता है कि उनको धर्म कर्म शांति आस्था प्यार करूणा क्षमा त्याग समर्पण दीनता से कोई आस्था और लगाव नहीं है। वे साध्वी होकर भी मेह माया राजनीति प्रचार अंहकार लोभ मान सम्मान नाम और जगत वासना में लिप्त हैं।  ऐसी देवी साध्वी पर मेरा कुछ भी कहना ग़लत है। मेरे पापा हेमंत करकरे एक पुलिस अधिकारी के रुप में साध्वी प्रज्ञा से पेश आएं होंगे। जिसे सामान्य रुप से इनको भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि संभवत वे कल सांसद भी बन जाएं। एक जिम्मेदार सामाजिक पद की लालसा रखने वालों का मन दिल ह्रदय को काफी बड़ा करना और रखना चाहिए। ।।।।।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.