इंटर की परीक्षा मे फेल 18 बच्चों ने की आत्महत्या, मानवाधिकार आयोग हुआ सख्त

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परीक्षा में फेल छात्रों के आत्मघाती फैसले हर साल शिक्षा विभाग मानवाधिकार आयोग ‌‌‌‌और समाज को परेशान करता रहा है। जिसके चलते मानव संसाधन मंत्रालय हमेशा परीक्षा फ्री शिक्षा या दसवीं तक की परीक्षा को पास फेल मुक्त करने पर विचार करता रहा है। इन तमाम मानवीय प्रयासों के बावजूद छात्रों के आत्मधिक्कार बोध के फलस्वरूप आत्महत्या करने की घटनाएं थम नहीं रही है। आत्महत्या की सबसे सनसनीखेज घटना तेलंगाना में हुई है।तेलंगाना में इंटर का रिजल्ट आने के बाद पूरे राज्य के अलग अलग क्षेत्रों से 18 छात्रों के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। इन खबरों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कल शुक्रवार को राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। गौरतलब है कि तेलंगाना बोर्ड ने इंटर का रिजल्ट घोषित किया था जिसमें तीन लाख छात्र फेल हो गए थे। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट में रिजल्ट में गड़बड़ी की बात की गई थी जिस पर आयोग ने संज्ञान लिया।

वहीं अलग अलग इलाकों में एक ही दिन में केवल फेल होने के कारण 18 छात्रों के बेमौत पर बोर्ड के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। इस घटना के बाद छात्र, परिजन और कुछ राजनीतिक पार्टियां भी विरोध पर उतर आई हैं। लोगों की मांग है कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए और भविष्य में ऐसा न हो इसका ध्यान रखा जाए। आयोग ने पूछा है कि क्यों प्रशासन ने हैदराबाद की निजी कंपनी ग्लोबलरेना टेक्नोलाजी को परीक्षा एनरोलमेंट का ठेका दिया। जबकि पहले इसे किसी सरकारी एजेंसी को ही दिया जाता था।
इसके साथ ही आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव एसके जोशी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में इसकी रिपोर्ट मांगी है। साथ ही बोला गया है कि आरोपियों के खिलाफ क्या किया गया है।  पीड़ित परिवारों की कैसे मदद की गई इसकी भी रिपोर्ट तलब की गयी है।  आयोग ने कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट्स सही पाई गईं तो यह मानवाधिकार का बड़ा हनन होगा। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने इन सभी बातों का खंडन किया है, मगर आयोग बोर्ड के सख्त रुख अपनाया है। परीक्षा परिणाम घोषित करने में बरती गई इस घोर लापरवाही के खिलाफ आयोग ने कई पहलू से जांच करा रही हैं। आयोग ने बोर्ड के प्रबंधन संचालन और निरीक्षण समिति से पूछा है कि जब रिजल्ट घोषित होने से पहले तीन लाख बच्चों के फेल की सूचना थी तो क्या रिजल्ट को फिर से जांच कराने की जरूरत महसूस नहीं हुई। आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों और परिणाम घोषित करने वाली एजेंसी के खिलाफ आपराधिक मामला और हत्या का मामला दर्ज कराने पर विचार विमर्श कर रही है। 

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