तीन दशक से कमल पर सवार बिहारी बाबू अब कांग्रेसी हो गए

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अनामी शरण बबल

नयी दिल्ली/ पटना। और अंततः आज पटना में वही हो गया जिसकी चाहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पिछले तीन साल से चाह रहे थे। गाय भी मर जाए और गौ हत्या का आरोपी भी न बने। अमित मोदी की बीजेपी में जहां पर सबको खामोश कर दिया गया था। वहीं पर बिन निकाले बिहारी बाबू देश भर में घूम घूमकर बगावत का परचम लहरा रहे थे। मगर मानना पड़ेगा कि बिहारी बाबू की खुली शत्रुता के बावजूद अपने स्वभाव से विपरीत प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी सुप्रीमों ने कोई कार्रवाई नहीं की। एक तरह से बिहारी बाबू भी वही कर रहे थे जो भाजपा चाह रही थी। टिकट वितरण के समय  पार्टी ने पटना साहिब संसदीय सीट पर बिहारी बाबू की जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को उम्मीदवार बना दिया। भाजपा के बागी और बिहार के पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा आज कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि इनको टिकट देने के लिए तो जेडीयू समेत राजद और समाजवादी पार्टी समेत भारत के किसी भी सीट पर आप भी टिकट देने के लिए राजी थी। मगर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक मुलाकात में बिहारी बाबू को भरोसा दिया कि राजद तो टिकट देने के लिए तैयार है। मगर लालू प्रसाद यादव चाहते है आप कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल करे। सूत्रों के अनुसार राजद के टिकट पर बिहारी बाबू को कायस्थ वोट मिलने में दिक्कत हो सकती है। बताया जाता है कि तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से बात करके टिकट के लिए जमीन तैयार की गई। बात फाइनल होने पर  शत्रुघ्न सिन्हा ने इससे पहले 28 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी। शत्रुघ्न सिन्हा ने नवरात्र के शुभ मुहुर्त पर कांग्रेस में  शामिल होने का एलान किया था।
कांग्रेस में शामिल होने और पटना साहिब से उम्मीदवारी के सवाल पर सिन्हा ने कहा था कि हालात जो भी हों, लेकिन वह पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे। महागठबंधन में सीटों का जो बंटावारा हुआ है उसके तहत पटना साहिब की सीट कांग्रेस के खातें में गई है। ऐसे में ये पहले से ही तय था कि इस सीट से कांग्रेस उन्हें ही टिकट देने के लिए राजी है। 
मशहूर फिल्म स्टार शत्रुघन सिन्हा पिछले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। हालांकि, पिछले कुछ सालों से बागी रुख अख्तियार कर रखा था। पिछले दिनों बीजेपी ने उनकी जगह केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से अपना उम्मीदवार घोषित किया। लंबे समय के बाद पटना साहिब संसदीय क्षेत्र का चुनाव दिलचस्प बन गया है। दोनों प्रत्याशी कायस्थ परिवार से जुड़े हैं। कायस्थ समाज की इस इलाके में बहुलता है। यदि कायस्थ वोटर 50% भी शत्रुघ्न सिन्हा को अपना आधार दे देते हैं तो दलितों मुस्लिमों यादवों और पिछड़े वर्गों के वोटर  नाराजगी के बाद भी बिहारी बाबू को आंशिक समर्थन भी कर देते हैं तो दो कायस्थों की जंग में  जुबानी वीर रविशंकर प्रसाद के लिए चुनाव जीतना भारी पड़ सकता है।  हालांकि इलाके में काम के नाम पर बिहारी बाबू का कोई सार्थक प्रयास नहीं रहा है। मगर एंटी मोदी मतदाताओं का समर्थन बिहारी बाबू के पलड़े को भारी कर सकता है।
कांग्रेस में शामिल होने से पहले कुछ महीनों में सिन्हा ने कई मौकों पर कांग्रेस अध्यक्ष की तारीफ की है। उन्होंने कांग्रेस के न्यूनतम आय योजना (न्याय) के चुनावी वादे को मास्टर स्ट्रोक बताया था। कांग्रेस में शामिल हुए समारोह में बिहारी बाबू जमकर मोदी सरकार पर बरसे।  पार्टी में हावी मोदी प्रभाव और कांग्रेस अध्यक्ष अमित शाह पर पूरी पार्टी को ही अपनी मर्जी से चलाने का आरोप लगाया है।  अब बिहारी बाबू को साबित करना होगा कि पार्टी कोई भी हो पर बिहारी बाबू के नाम के आगे सब फेल है।   

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