देशभर में केवल तेलंगाना के निजामाबाद संसदीय सीट पर होगा बैलेट पेपर से चुनाव

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अनामी शरण बबल

नयी दिल्ली / हैदराबाद। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का पूरे देश में विरोध हो रहा है। सभी राजनीतिक दलों ने भी ईवीएम प्रथा को समाप्त करके फिर से बैलेट युग की वापसी की मांग को दोहरा रहे हैं। सभी दलों की मांगों और आपत्तियों को नकारते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने साफ किया कि बैलेट युग की वापसी का कोई सवाल ही नहीं उठता है। मगर लगता है कि जनबल के आगे कभी कभी तकनीक भी मात खा जाता है। हालात ऐसी बन जाती है कि आधुनिक तकनीक की बजाय पुरानी बैलेट व्यवस्था को ही अपनाना सबसे सुविधाजनक सरल और आसान विकल्प दिखने लगता है। लगभग यही हाल और इसी समस्या से तेलंगाना के निजामाबाद संसदीय क्षेत्र जूझ रहा है।     देश इस समय पूरी तरह चुनावी गहमागहमी में है और पहले चरण के लिए होने वाले मतदान में अब दो सप्ताह से भी कम समय रह गया है।  लेकिन देश की एक लोकसभा सीट ऐसी सामने आ गया है जहां इस बार ईवीएम या फिर वीवीपैट से नहीं बल्कि बैलेट पेपर से ही चुनाव कराना चुनाव आयोग की मजबूरी बन गयी है। यह सीट तेलंगाना की निजामाबाद है, जहां पर इस बार पूरे देश से हो रहे ईवीएम तकनीक की  बजाय परम्परागत बैलेट तरीके से बटन दबाने की बजाय मुहर लगाकर अलग तरह से मतदान कराया जाएगा।  
चुनाव आयोग की मजबूरी और विवशता को जानना भी काफी दिलचस्प है। निजामाबाद लोकसभा सीट पर इस बार कुल 185 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा हैं। उम्मीदवारों की लम्बी कतार को देखते हुए चुनाव आयोग को दूसरा रास्ता अख्तियार करना पड़ा।  यही कारण है कि चुनाव आयोग को यहां पर बैलेट पेपर से चुनाव करवाना पड़ रहा है। क्योंकि अगर यहां पर ईवीएम और वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाए तो हर बूथ पर तीन तीन पग इवीएम मशीनों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जो बेहद मुश्किल भरा होगा।
 चुनाव आयोग ने सरकारी तंत्र की मजबूरी पर गौरब किया तय कियानी फ पर ब है कि इस लोकसभा सीट पर बड़े बैलेट पेपर से मतदान हो, ताकि सभी उम्मीदवारों के नाम और तस्वीर आसानी से आ सके। इसको लेकर चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव आयोग को भी बता दें दिया और इसके लिए जरूरी तैयारियां करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना की सभी सीटों पर 11 अप्रैल को ही मतदान होना है ‌। उम्मीदवारों की अंतिम सूची फाइनल होते ही राज्य निर्वाचन आयोग और उम्मीदवारों के नाम जाएंगे। जिसके बाद बैलेट पेपर की छपाई होने लगेगी। दिल्ली चुनाव आयोग सूत्रों नके अनुसार एक ईवीएम मशीन में अधिकतम 40 प्रत्याशियों के नाम ही आ सकते हैं।‌‌‌‌‌‌‌‌‌ निजामाबाद की तरह ही ‍ देश के अन्य संसदीय सीटों पर यदि कभी उम्मीदवारों की संख्या अधिक हो गयी तो चुनाव आयोग के ना कहने के बाद भी मतदान की व्यवस्था ईवीएम की बजाय बैलेट राज की ओर ही चुनाव आयोग को भी विवश हो कर रहना पड़ेगा।।।। ।।

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