समझौता एक्सप्रेस में हुआ था ब्लास्ट. मगर आरोप मुक्त होकर सारे आरोपी बरी

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पंचकूला। साल 2007 के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए पंचकूला की एनआईए कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सभी चार आरोपियों को आरोप मुक्त करके बरी कर दिया है । इस मामले पर पहले  14 मार्च को फैसला आना था था, हालांकि पाकिस्तानी महिला वकील ने ईमेल के जरिए याचिका दायर की थी कि उनके पास भी इस मामले के पर्याप्त सबूत हैं।
पाकिस्तानी महिला यात्री के दावे के बाद इस मामले की सुनवाई को 20 मार्च तक के लिए टाल दिया गया था। कोर्ट ने बुधवार को महिला के साक्ष्यों को पर्याप्त नहीं मानते हुए याचिका को सीआरसीपीसी की धारा 311 के तहत खारिज कर दिया। मामला 18 फरवरी 2007 का है, जब समझौता एक्सप्रेस विस्फोट एक आतंकवादी घटना थी जिसमें 18 फरवरी, 2007 को भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट हुआ था। जिसमें 68 लोगों की मौत और दो दर्जन लोग घायल हो गए थे। यह ट्रेन दिल्ली से पाकिस्तान जा रही थी।
विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग़ थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नज़दीक हुआ था। विस्फोट से लगी आग में 68 व्यक्तियों की मौत हो गई थी और 293 अन्य घायल हो गए थे। मारे गए ज़्यादातर लोग पाकिस्तानी नागरिक थे। जो भारत में अपने रिश्तेदारों के यहां रहकर मेल मुलाकात करके वापस अपने घर पाकिस्तान लौट रहे थे कि बीच में ही यह हादसा हो गया था। असीमानंद समेत इनके चार अन्य साथियों पर भी इस विस्फोट का जिम्मेदार माना गया। 12 साल की लंबी जांच परीक्षण में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यो के आधार पर इस घटना के मुख्य आरोपी असीमानंद एंड कंपनी को भी पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। यानी विस्फोट होने के बाद भी इसके मास्टर माइंड को अब तक पकड़ा नहीं जा सका है।  

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