राफेल फाईलों के लापता होते ही फिर जिंदा हो गया राफेल घोटाला

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अनामी शरण बबल

राफेल की फाइल गुम होने से सवालों के घेरे पूरा सिस्टम  **कल तक राहुल की बातों को नजरअंदाज करने वाले भी हुए संजीदा  नयी दिल्ली। चाहते न चाहते हुए भी प्रधानमंत्री के गले से  राफेल घोटाले का प्रेत  पिंड नहीं छोड़ रहा है। इस बार अभी पाकिस्तान के साथ हुए एयर सर्जिकल स्ट्राइक संघर्ष के बाद राफेल लड़ाकू विमान को याद करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यदि हमारे पास राफेस होता तो जंग की तस्वीर कुछ और होती। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को घंटी को अपने गले में बांधकर उन्होंने अपनी वाकपटुता से बड़ी चतुराई सेअपनी गर्दन से राफेल के भूत को उतार फेंका था, लेकिन लगभग दफन हो चुके राफेल मुद्दे को उन्होंने अपनी ही गलती से फिर से कब्र से बाहर निकाल दिया है। राहुल गांधी के तीर को और पैना करके धारा दे दी है। अपने प्रति भी पहली बार लोगो को संदेह करने का मौका दे दिया। आज राफेल फाईलों के लापता होते ही एक बड़े वर्ग को दाल में काला नज़र आने लगा है।ल
इसके बाद से ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चिरपरिचि​त अंदाज में अपना वही राग फिर से अलापना शुरू कर दिया है जिससे पीछा छुड़ाने की मोदी ही नहीं भाजपा भी पिछले एक साल से लगातार कोशिश कर रही थी। यह मुद्दा फिर से तब गरमा गया जब सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार की ओर से पेश एटार्नी जनरल ने यह कहा कि राफेल विमान की फाइलें चोरी हो चुकी हैं। अब सवाल है कि आखिर फाइल ट्रेकिंग सिस्टम से लैस रक्षा मंत्रालय से करीब 59 हजार करोड़ के सौदे वाली राफेल की फाइल कैसे गायब हो गई। अगर गायब हुई तो सरकार ने अभी तक इसकी एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई, या इसके लिए दोषी किन किन लोगो के खिलाफ क्या कार्रवाई की ।
फाइल ट्रेकिंग सिस्टम ऐसा कम्प्यूटराइज सिस्टम है जिसमें एक—एक फाइल और उसके एक—एक पन्ने का ब्यौरा दर्ज होता है। रक्षा मंत्रालय में यह सिस्टम लागू हुए दो दशक से अधिक हो गया है।और यह पहली बार है जब सरकार ने कहा कि हथियार खरीद की बेहद महत्वपूर्ण फाइल गायब हो गई है। कम्प्यूटराइज फाइल ट्रेकिंग सिस्टम के जानकारों का कहना है कि जहां भी ये सिस्टम लगा होता है, वहां से किसी फाइल का गायब होना अथवा चोरी होना नामुमकिन है क्योंकि अति महत्वपूर्ण फाइलों के लिए इस सिस्टम में एक अलग तरह की भी व्यवस्था होती है। इनका एक अलग कोड़ होता है और उस कोड़ को डालते ही फाइल जहां भी होती है, वह वहां फिर से मिल जाती है। इतनी तगड़ी अभेद्य सुरक्षा कवच से फाईलों के गायब होने का कोई सवाल नही उठता। तकनीकी एक्सपर्ट के अनुसार सरकार ने बेवजह अपनी किरकिरी करा ली है। जबकि तकनीक एक्सपर्ट के लिए  इसे कोड देकर फिर से पाना कठिन नहीं है। अब देखना है कि राफेल घोटाले को धारदार तरीके से पेश करते आ रहे राहुल गांधी अब नया धमाका क्या करते हैं। उधर कुछ अखबारों को सबक सीखाने के लिए व्यग्र आतुर पीएम सेना के लोग किस तरह का नया जुमला गढ़कर राफेल को बेदम करेंगे।
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