ईमानदार होने की सजा 28 साल में 52 तबादले

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अनामी शरण बबल-

बादला तबादला और तबादला यानी अशोक खेमका /

: नयी दिल्ली / चंडीगढ़। अदालती कार्रवाई में तारीख का बड़ा महत्त्व है। अदालत की लंबी प्रक्रिया में न्याय मिले ना मिले, मगर हर बार एक नयी तारीख ज़रूर मिल जाती है। यही हाल हरियाणा कैडर के 1991 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की है। जिनकी 27 साल की नौकरी में अब तक 52 तबादले हो चुके हैं। ताजा तबादला कर किया गया,जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने मंत्री अनिल विज को मना नहीं सके और अपने सहकर्मी मंत्री की जिद के आगे परास्त होते हुए तबादलों के लिए जगत विख्यात आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का फिर तबादला कर दिया। और तबादले के साथ ही नेताओं को अपनी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के चलते किसी को भी नहीं सुहाने वाले खेमका को एक बार फिर तबादले की वैसाखी देकर फिर चलता फिरता कर दिया गया।  मालूम हो कि अशोक खेमका ही वे नौकरशाह हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री  भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में डीएलएफ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई सोनिया गांधी के दामाद और कांग्रेस की सबसे लोकप्रिय नेता  प्रियंका गांधी के पतिदेव रॉबर्ट वाड्रा के जमीन डील को निरस्त कर दिया था। जिसके लिए बतौर गिफ्ट मुख्यमंत्री हुड्डा ने खेमका का फौरन तबादला कर दिया था। तबादले की यह ग्राफ अब 52वें पायदान पर है, मगर खेमका की क़लम से निरस्त डील  रॉबर्ट वाड्रा के गले की फांस बनी हुई है। ईडी की रॉबर्ट से आजतक पूछताछ जारी है। रॉबर्ट वाड्रा की जमीन सौदे की डील को कैंसल करने के बाद पहली बार इनके नाम की चर्चा पूरे देश में होने लगी।
उल्लेखनीय है कि खेमका को ओमप्रकाश चौटाला से लेकर भूपिंदर सिंह हुड्डा और मनोहर लाल खट्टर आदि आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव रहा है। क्या विचित्रितता है कि अपने तबादलों से परेशान देखकर कभी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने कहा था कि एक ईमानदार अधिकारी के लिए ऐसे हालात में काम करना कितना कठिन होता है। कभी मुख्यमंत्री मोदी ने ठंडी आहें भरी थी कि काश, मेरे साथ मेरे पास खेमका जैसे कर्मठ अधिकारियों की फौज होती। प्रधानमंत्री के अपने पहले शासनकाल में तो मोदी ने कभी याद नही किया। अलबत्ता मोदी के सिपहसालार मनोहर लाल खट्टर के राज में ढुलकते खिससते ही रहे। तबादले की झड़ी के बीच खेमका के विभाग को अब जानना उतना महत्वपूर्ण नहीं रह गया है, जितना यह जानना कि यह तबादला नंबर क्या है?  सबों को यह जानना भी और जरूरी हो जाता है कि अपने 28 साल के कार्यकाल में खेमका केवल दो ही ऐसे विभाग रहे हैं  शहरी विकास विभाग और उद्योग विभाग जहां पर उनको डेढ़ डेढ साल तक रहकर काम करने का मौका मिला। कुछ विभाग तो ऐसे भी रहे हैं जहां पर खेमका को एक माह भी रहने नहीं दिया गया।  कहीं कहीं पर तो वे ठीक से दफ्तर को समझ भी नहीं सके थे कि तब तक तबादले का फरमान चस्पां हो जाता। मूलतः पश्चिम बंगाल के रहने वाले अशोक खेमका 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। कम्प्यूटर और तकनीकी शिक्षा टाटा इंस्टीट्यूट मुंबई से की। पीएचडी भी खेमका ने कम्प्यूटर में किया है।  52 में 13 तबादले तो इनके पद से निम्न पद पर किया गया। पिछले पांच साल में यह इनका आठवां तबादला है। तबादले के बाबत उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, उसपर क्या कहें। उन्होंने कहा कि मेरे नाम का खौफ है कोई मंत्री मुझे संभाल नहीं पाते। सबके मन में खेमका का डर बैठा है, और तबादला मेरी नियति है।इन तबादलों के बाबत कहा कि कोई मुझे काम करने का मौका ही नहीं देना चाहते। मेरी हालत तो एक फुटबॉल सी है जिसके पीछे 22 खिलाड़ी लगे रहते हैं। तो सरकार चाहे खट्टर की हो या हुड्डा की चौटाला की हो या भजनलाल की। अशोक खेमका जैसे ईमानदार अधिकारियों की हालत को बेहतर करने का सपना किसी के मन में नहीं है, इसी से आज़ खेमका अपनी निष्ठा और ईमानदारी की सजा  तबादला और तबादले के रुप में भुगत रहे हैं।।।।


: नयी दिल्ली / चंडीगढ़। अदालती कार्रवाई में तारीख का बड़ा महत्त्व है। अदालत की लंबी प्रक्रिया में न्याय मिले ना मिले, मगर हर बार एक नयी तारीख ज़रूर मिल जाती है। यही हाल हरियाणा कैडर के 1991 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की है। जिनकी 27 साल की नौकरी में अब तक 52 तबादले हो चुके हैं। ताजा तबादला कर किया गया,जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने मंत्री अनिल विज को मना नहीं सके और अपने सहकर्मी मंत्री की जिद के आगे परास्त होते हुए तबादलों के लिए जगत विख्यात आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का फिर तबादला कर दिया। और तबादले के साथ ही नेताओं को अपनी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के चलते किसी को भी नहीं सुहाने वाले खेमका को एक बार फिर तबादले की वैसाखी देकर फिर चलता फिरता कर दिया गया।  मालूम हो कि अशोक खेमका ही वे नौकरशाह हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री  भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में डीएलएफ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई सोनिया गांधी के दामाद और कांग्रेस की सबसे लोकप्रिय नेता  प्रियंका गांधी के पतिदेव रॉबर्ट वाड्रा के जमीन डील को निरस्त कर दिया था। जिसके लिए बतौर गिफ्ट मुख्यमंत्री हुड्डा ने खेमका का फौरन तबादला कर दिया था। तबादले की यह ग्राफ अब 52वें पायदान पर है, मगर खेमका की क़लम से निरस्त डील  रॉबर्ट वाड्रा के गले की फांस बनी हुई है। ईडी की रॉबर्ट से आजतक पूछताछ जारी है। रॉबर्ट वाड्रा की जमीन सौदे की डील को कैंसल करने के बाद पहली बार इनके नाम की चर्चा पूरे देश में होने लगी।
उल्लेखनीय है कि खेमका को ओमप्रकाश चौटाला से लेकर भूपिंदर सिंह हुड्डा और मनोहर लाल खट्टर आदि आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव रहा है। क्या विचित्रितता है कि अपने तबादलों से परेशान देखकर कभी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने कहा था कि एक ईमानदार अधिकारी के लिए ऐसे हालात में काम करना कितना कठिन होता है। कभी मुख्यमंत्री मोदी ने ठंडी आहें भरी थी कि काश, मेरे साथ मेरे पास खेमका जैसे कर्मठ अधिकारियों की फौज होती। प्रधानमंत्री के अपने पहले शासनकाल में तो मोदी ने कभी याद नही किया। अलबत्ता मोदी के सिपहसालार मनोहर लाल खट्टर के राज में ढुलकते खिससते ही रहे। तबादले की झड़ी के बीच खेमका के विभाग को अब जानना उतना महत्वपूर्ण नहीं रह गया है, जितना यह जानना कि यह तबादला नंबर क्या है?  सबों को यह जानना भी और जरूरी हो जाता है कि अपने 28 साल के कार्यकाल में खेमका केवल दो ही ऐसे विभाग रहे हैं  शहरी विकास विभाग और उद्योग विभाग जहां पर उनको डेढ़ डेढ साल तक रहकर काम करने का मौका मिला। कुछ विभाग तो ऐसे भी रहे हैं जहां पर खेमका को एक माह भी रहने नहीं दिया गया।  कहीं कहीं पर तो वे ठीक से दफ्तर को समझ भी नहीं सके थे कि तब तक तबादले का फरमान चस्पां हो जाता। मूलतः पश्चिम बंगाल के रहने वाले अशोक खेमका 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। कम्प्यूटर और तकनीकी शिक्षा टाटा इंस्टीट्यूट मुंबई से की। पीएचडी भी खेमका ने कम्प्यूटर में किया है।  52 में 13 तबादले तो इनके पद से निम्न पद पर किया गया। पिछले पांच साल में यह इनका आठवां तबादला है। तबादले के बाबत उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, उसपर क्या कहें। उन्होंने कहा कि मेरे नाम का खौफ है कोई मंत्री मुझे संभाल नहीं पाते। सबके मन में खेमका का डर बैठा है, और तबादला मेरी नियति है।इन तबादलों के बाबत कहा कि कोई मुझे काम करने का मौका ही नहीं देना चाहते। मेरी हालत तो एक फुटबॉल सी है जिसके पीछे 22 खिलाड़ी लगे रहते हैं। तो सरकार चाहे खट्टर की हो या हुड्डा की चौटाला की हो या भजनलाल की। अशोक खेमका जैसे ईमानदार अधिकारियों की हालत को बेहतर करने का सपना किसी के मन में नहीं है, इसी से आज़ खेमका अपनी निष्ठा और ईमानदारी की सजा  तबादला और तबादले के रुप में भुगत रहे हैं।।।।

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