कब पाक होगा,नापाक पाकिस्तान…

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*कुमार राकेश

जब से पाकिस्तान बना है.अशांत है ,बेबस है.परेशान है.जद्दोजहद से भरा हुआ और अपने जन्मदाता  भारत से चिढ़ा हुआ.शायद पाकिस्तान ने कभी नहीं सोचा कि ऐसा उसके साथ क्यों हुआ?ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा है? शायद सोचता तो आज वो अपने जन्मदाता भारत के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलता.साथ में भारत की संस्कृति सत्य,अहिंसा और न्याय के मार्ग को भी अपनाता.पर करे तो क्या करें पाकिस्तान.उसे अपने राष्ट्र पिता मोहम्मद अली जिन्ना की गलतियों और गलत महत्वकांक्षी स्वाभाव का सिला झेलने को मजबूर होना पड़ा हैं.पता नहीं पाकिस्तान कब सुधरेगा.कब वहां पर जीवंत और निष्पाप लोकतंत्र उस नापाक धरती को पाक में तब्दील करेगा. पता नहीं कब सुधरेगा पाकिस्तान?

 आज़ादी के बाद से अबतक पाकिस्तान को भारत से कई बार मुंह की खानी पड़ी है.1965,1971 व 1999 में बड़ी हार के बाद पाकिस्तान कई छोटी झडपों  में मुंह की खायी है.लेकिन अब भी पाकिस्तान सुधरता नहीं दिख रहा.इसकी कई वजहें हो सकती हैं.मेरे विचार से आज की स्थिति में पाकिस्तान नहीं सुधरा तो वो दिन दूर नहीं,जब पाकिस्तान विश्व के नक्शे से गायब हो सकता है.वैसे पाकिस्तान के 70 प्रतिशत आबादी वाले बलूचिस्तान,सिंध और उससे जुड़े क्षेत्र की आम जनता की मांग है कि वे पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते.पाक में नापाक इरादों में सेना और मौलाना एक हैं.पहले तो  अमेरिका का भी अप्रत्यक्ष समर्थन था.अब नहीं है.अब एक नया पैरोकार चीन मिला हैं.परन्तु आतंकवादी मसलों पर पाक के साथ कोई नहीं जा सकता .

पाकिस्तान में  जो भी सरकार आती है,कमोबेश वो सेना और मौलाना की कठपुतली होती है.इमरान खान भी उसी कठपुतलियों में से एक हैं.जिसके बारे में उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान ने कहा था .पाकिस्तान की राजनीति में इमरान बेचारे है .वो जो बोलते है ,वो उनकी जबान नहीं होती.

यदि हम तथ्यों पर नजर डाले तो पायेंगे कि भारत पाक रिश्तों को बेहतर बनाने के क्रममें जितने भी उपक्रम किये गए,पाकिस्तान ने उस पर ईमानदारीपूर्वक अमल नहीं किया.क्यों ? उसके भी कई कारण है.मैंने 1984 से अबतक भारत-पाक सम्बन्धों में कई उतार चढाव देखे.कई मसलों  को तो काफी नजदीक से देखने-समझने का मौका मिला.जिनमे 1991,1993,1994,1998,1999 महत्वपूर्ण है .उसके बाद 2002,2003,2008,2012,2016 और अब 2019 है.कई वाकये हैं .कई घटनाये है.कई कहानियां है तो कई तथ्यपूर्ण तारीखे .परन्तु कुछ वर्ष और हमें आज भी उद्वेलित करती हैं भारत पाक के परस्पर रिश्तो के परिपेक्ष्य में .

हम 1999 की पाक द्वारा शुरू किये गए करगिल लड़ाई के सन्दर्भ में चर्चा करते हैं.भारत और पाकिस्तान दोनों आमने-सामने थे.पाकिस्तान के विदेश मंत्री सरताज अज़ीज़ भारत दौरे पर थे.दिल्ली स्थित पाकिस्तान राजदूतावास में उनका प्रेस कांफ्रेंस था.वो प्रेस कांफ्रेंस भारत के विदेश मंत्री जसवंत सिंह के जवाब में आयोजित की गयी थी.मैं भी उस प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद था.ज्यादातर पत्रकारों ने उनसे अंग्रेजी में सवाल पूछे थे.पर जब मेरी बारी आई तो मैंने सरताज साहेब से हिंदी में सवाल किया.उन्होंने काफी संजीदगी से मेरे सवाल का जवाब देने की कोशिश की.मेरा सवाल लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल से जुड़ा था.मैंने पूछा था –जब लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल आसमान से हजारो फीट ऊपर से साफ़ साफ़ दिख जाता है.पर ज़मीन पर पाकिस्तानी सैनिकों को क्यों नहीं दिखती?क्यों वे अक्सर उस सीमा रेखा को लाँघ जाते हैं? फिर दोनों तरफ से गोलाबारी,ऐसा क्यों? इस पर जनाब सरताज अज़ीज़ का जवाब बड़ा ही गैर जिम्मेदाराना था.सरताज साहेब ने व्यंग्यात्मक लहजे में जवाब दिया- आप का सवाल जायज़ है,परन्तु कभी कभी ज्यादा बर्फबारी की वजह से वो सीमा रेखा नहीं दिखती,जिससे हमारे सैनिको से गलतियाँ हो जाती है.उसके बाद भारत कुछ अन्य पत्रकारों से प्रति प्रश्न करने की कोशिश की,परन्तु सरताज साहेब ने माकूल जवाब नहीं दिया ,उलटे साथ खड़े कुछ शख्स ने विला वजह चिल्लाना शुरू किया.मतलब-हमें अपने अहम सवालों का जवाब नहीं मिला.ये था  पाकिस्तान का झूठ और शैतानी से भरा चेहरा. उसके बाद तो मैंने खुद अपनी लिस्ट से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया.आजतक वो ब्लैक लिस्टेड है.1999 ही वो साल है ,जब भारत के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर बस यात्रा की शिरकत की थी.नवाज़ शरीफ  साहब उस वक़्त पाकिस्तान में प्रधानमंत्री थे.यांनी कि भारत ने सदैव  प्रेम,सत्य और अहिंसा का संदेश देने की कोशिश की थी,परन्तु पाकिस्तान आज भी अपना अमानवीय और दुर्दात स्वाभाव नहीं छोड़ सका है.

1999 के बाद आज 20 वर्ष हो गए.पिछले 20 वर्षो में भारत-पाकिस्तान के परस्पर सम्बन्ध बेहतर करने के कई उपाय किये गए,लेकिन पाक अपने नापाक और अमानवीय  हरकतों से बाज़ नहीं आया. बस दो वर्षों के बाद ही 2001 का भारत संसद पर हमला ने पाक ने के बार फिर अपना घिनौना चेहरा पूरी दुनिया को दिखाया.बाद में 2008 का मुंबई का 26/11 आतंकवादी हमले ने तो पाकिस्तान की पूरी पोल खोल दी.जिसमे भारत के करीब 175 लोग मारे गए,जिसमे 9 आतंकवादी भी जवाबी हमले में मारे गए.वर्ष  2012 में अपना पाप धोने पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अपने पुत्र और नेता बिलावल के साथ अजमेर शरीफ की यात्रा पर वाया दिल्ली आये थे.भारत ने उनका पुरजोर सम्मान किया था.पर बाद में वही हुआ.जो होना था.

2014 के पहले और बाद के भारत पाक रिश्तों की नयी परिभाषा रचने की कोशिश की गयी.मई 2014 में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ के दौरान सभो पडोसी देशो को निमंत्रण भेजा गया था.तत्कालीन पाक प्रधान  मंत्री नवाज़ शरीफ भी भारत आये थे.श्री मोदी से एक बड़े भाई की तरह नवाज़ शरीफ का खुले दिल से स्वागत किया.प्रधान मंत्री मोदी अनौपचारिक यात्रा कर नवाज़ शरीफ की अम्मा से मिले.आशीर्वाद भी लिया.लेकिन सब उपक्रम बेअसर.इसके बावजूद  वे नहीं सुधरे.तब भारत ने अपना तल्ख रवैया अपनाना शुरू किया.2014 में एक टी वी को दिए गए इंटरव्यूज में नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि बम,बन्दुक और बारूद के बीच बातचीत नहीं हो सकती.

मोदी कार्यकाल में 18 सितम्बर 2016 में पाकिस्तान ने उरी सेक्टर में विला वजह हमला किया.एक ऐसा हमला ,जिस पर  पाकिस्तानी मुसलमानो  को अपने  कौम इस्लाम से  तौबा करना चाहिए.पाक ने पीठ पीछे हमला किया .वो भी फिदायीन हमला और सैन्य भी.भारत के 18 जवान शहीद हो गए,वो हमला भी एक बहुत बड़ा कायराना हमला था.बाद में भारत ने भी उसका करारा जवाब दिया. परन्तु भारत का सब्र का बंध उस वक़्त टूट गया जब पाकिस्तान का जैश ए मोहम्मद का मौलाना मसूद अजहर ने कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को फिदायीन हमला करवाया और भारत के 40 जवान शहीद हो गये.उस हमले में करीब 350 किलो आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था.इससे एक बार फिर पाकिस्तान ने कुरान की मानवता से जुडी आयतों को ताड ताड कर दिया.भारत भी क्यों पीछे रहता.26 फरवरी 2019 को भारत ने करारा जवाब दिया.40 के बदले करीब 300 आतंवादियों को जहन्नुम में भेजा गया.आतंकवादी संगठन जैश के पाक स्थित ठिकानो को नेस्तनाबूद किया गया.

उसके बाद से पाकिस्तान में हडकम्प की स्थिति है.परन्तु एक दिन बाद पाक सीमा में प्लेन क्रश होने से पाकिस्तान ने भारत के के पायलट विंग कमांडर अभिनन्दन को अपने कब्जे में ले लिया.परन्तु प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति की जीत हुयी और अभिनंदन की रिहाई की घोषणा पाक के नए नवेले प्रधान मंत्री इमरान खान ने घोषणा की.श्री खान ने कहा कि हम युध्ह नहीं चाहते.इसलिए शान्ति प्रयासों के तहत पायलट अभिनन्दन को रिहा कर रहे हैं.

 लगता है ,पाकिस्तान अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा हैं.वर्तमान उसका पहले की तुलना बहुत ही खराब है,जब वर्तमान ही खराब है तो  भविष्य कैसा होगा,उसकी सहज कल्पना की जा सकती है.रही भारत की बात,भारत सदैव सत्य और अहिंसा का पैरोकार रहा है और रहेंगा .

पता नहीं झूठ और शैतानी का पैरोकार पाकिस्तान कब अपने रब की बात सुनेगा.अपने अल्लाह की बात मानेगा.अपने पवित्र ग्रन्थ कुरान के मानवतावादी तत्वों को समझेगा.आखिर कब तक.क्या समस्या है? सेना के कुछ हुकुमरानो की दादागिरी कब तक चलेगी.मेरा मानना है पाकिस्तान को अब जल्द सुधर जाना चाहिए.क्योकि अब भारत में नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधान मंत्री हैं.जो कहता है ,वो करता है.

26 फरवरी को भारत द्वारा किया स्ट्राइक आतंवादियों के खिलाफ था,न की पाकिस्तान के अवाम के खिलाफ.26 फरवरी के हमले में पाक के किसी आम आदमी का नुकसान नहीं किया गया.जबकि पाक पोषित आतंवादी जब भी हमला करते है ,भारत के अवाम का नुकसान करते हैं.ये हर तरह से अन्याय है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत गैर क़ानूनी भी.

भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से 28 फरवरी को एक नया संदेश दिया-प्रधान मंत्री ने कहा कि हमारा पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो गया है,फाइनल की तैयारी है.अब आने वाला समय बताएगा कि वो परिदृश्य कैसा होगा.भारत ने पाक पीएम इमरान खान के अनुरोध पर पाक में रहने वाले सभी आतंकवादियों का पूरा डोजियर सौंप दिया हैं.अब देखना है इमरान खान अपनी क्रिकेट शैली में छक्का लगाते है या फिर से पूर्व साथियों की तरह झूठ बोलकर छका जाते हैं.

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