इन रेलवे स्टेशनों के नाम को कौन बदलेगा पीयूष गोयल जी?

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अनामी शरण बबल

रेलमंत्रीजी इन स्टेशनों का नाम कब  और कौन बदलेगा ? 

नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव में भले ही अभी ढाई माह बाकी है, मगर रेलवे बजट आने में अब एक सप्ताह का भी समय नहीं बचा है। देश के छोटे बड़े मंझोले करीब 7400 रेलवे स्टेशनों में दो दर्जनसे अधिक आपत्तिजनक विवादास्पद और गाली से प्रतीत हो रहे रेलवे स्टेशनों के नाम कब तक बदलेंगे? माननीय रेलमंत्री जी जब आप इन नामों के बदलने की पहल नहीं करेंगे तो लाखों लोगों को इन अभिशप्त नामों से कौन निजात दिलाएगा। इन स्टेशनों के नाम बदलने को लेकर दशकों से लोग आंदोलित हैं। फिर भी रेलवे के इन अजीबोगरीब नामों का अभिशाप कायम है। अलबत्ता झारखंड के नगरऊंटारी रेलवे स्टेशन और कस्बे का नाम बदलकर श्रीवंशीधर जरुर किया गया है। सैकड़ों स्टेशनों के नाम बदलने के प्रति आज भी लोग आशावान हैं। रेलमंत्रालय में ज्यादातर फाईलें धूल खा रही है।  एनडीए की भाजपा सरकार ने भारतीय शहरों के नाम बदलने का रिकॉर्ड बना डाला है। इस मामले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो सबों को पीछे छोड़ दिया। आपत्तिजनक रेलवे स्टेशनों पर उनकी नज़र नहीं गयी। निसंदेह ध्यान नहीं गया अन्यथा यूपी रामपुर के पास एक रेलवे स्टेशन सुअर स्टेशन का तो वे नाम बदलवा ही डालते। लंबे समय से सुअर को बदलने की मांग आजतक अधूरी रह गयी। कर्नाटक केरल बोर्डर पर कुत्ता रेलवे स्टेशन का नाम भी आजतक कुत्ता ही है। सोनभद्र के पास बिल्ली स्टेशन और मथुरा के समीप छाता की ओर भी मुख्यमंत्री का ध्यान नही गया।—-  किसी को भी यह जानकर हैरानी होगी की कुछ स्टेशनों के नाम कैसे रख दिए गए। तो आइए विचित्र नामों का जायजा लेने की पहल करते हैं कि इस नाम से प्रचलित रेलवे स्टेशनों के नाम दशकों के बाद भी क्यों नहीं बदले। बाप बीबी बीबीनगर कोठा साली जेठानी ननद देवरानी सहेली नाना नानी ओढनिया चुटिया दीवाना काला बकरा चोट्टा बिल्ली दिल्ली में पालम राजस्थान में बालम जैसे रेलवे स्टेशनों के नाम आज़ तक सक्रिय हैं।उड़ीसा में आई(I) रेलवे स्टेशन सबसे कम शब्दों वाला स्टेशन है। ईब ( Eb) स्टेशन न्यूनतम शब्दों वाले स्टेशनों में एक है।—  देश में आधा दर्जन से अधिक रेलवे स्टेशन ऐसे भी हैं जिसके संचालन परिचालन संयोजन का सारा जिम्मा महिलाओं के हवाले हैं। कुली से लेकर स्टेशन मास्टर क्लर्क और तकनीकी स्टाफ भी महिलाओं के हवाले हैं। मुंबई के निकट माटूंगा जयपुर के गांधीनगर  अहमदाबाद का मणिनगर स्टेशन आंध्र प्रदेश का चंद्रगिरी और बेगमनट तथई तमिलनाडु का फिरंगीपुर रेलवे स्टेशन पूरी तरह महिलाओं के हाथों में है।—– : रोजाना तीन करोड़ यात्रियों को लेकर ढोने वाली भारतीय रेलवे देश की परिवहन की रीढ़ है। सड़क और राष्ट्रीय राजमार्ग के समुचित विकास के बावजूद रेल ही देश को चारों तरफ से एक बनाने में सक्षम है। करीब 17 लाख कर्मचारियों वाले भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण परिचालन अनोखा और अनूठा भी है। इसके बावजूद अजीबोगरीब नामों के अभिशाप से इसको निकालना जरूरी है। वही पश्चिम बंगाल के वर्धमान रेलवे स्टेशन से 35 किलोमीटर दूर रैना और रैनागढ के बीच पिछले 11 साल से बिना नाम वाले रेलवे स्टेशन के नाम पर भी रेलवे को पहल करनी चाहिए। दे गांवों के तनातनी के पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु भी निपटा नही पाए। संभवत रेलमंत्री पीयूष गोयल जी को बिना नाम वाले खाली रेलवे पट्टिका के बारे में पता भी ना हो?
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