प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की कहानी

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अनामी शरण बबल 

क्या प्रधानमंत्री बनारस में नया इतिहास बनाएंगे या इतिहास बन जाएंगे?

नयी दिल्ली।  क्या अजीब संयोग है कि लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां अभी तेज हुई नही है कि देश के सबसे वीवीवी आईपी संसदीय क्षेत्र वाराणसी को लेकर सस्पेंस बढता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी-: यहां से सांसद हैं। मगर  2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर यह तस्वीर साफ नहीं है कि वाराणसी  का अगला सांसद कौन होगा और होगा भी तो कितने दिनों के लिए ? प्रधानमंत्री मोदी के सामने विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी कौन होगा ?  हालांकि संभावित प्रत्याशियों के नाम  में भाजपा के बागी सांसद और मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के साथ साथ साथ गुजरात के युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को वाराणसी  से उम्मीदवार बनाने की चर्चा है। उधर प्रधानमंत्री मोदी के बनारस के साथ साथ उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी संसदीय क्षेत्र से भी चुनावी किस्मत आजमाने की संभावना प्रबल होती जा रही है। : वहीं वाराणसी संसदीय क्षेत्र का एक गज़ब का विरोधाभास रहा है केवल दो ही सांसद को यहां से लगातार तीन तीन टर्म में सांसद होने का गौरव प्राप्त है। इसके अलावा मोदी सहित किसी को भी दोबारा चुनाव जीतने का मौका नहीं मिला। अगर मोदी दोबारा सांसद बन भी जाते हैं तो क्या वे अगले पांच साल तक बनारस के ही सांसद रहेंगे ?    उल्लेखनीय हैं कि 1952 से लेकर 2014 तक वाराणसी संसदीय क्षेत्र से 12 सांसद हुए हैं। 1952 में पहले कांग्रेसी सांसद  रघुनाथ सिंह लगातार तीन टर्म में 15 साल तक सांसद रहे। इसके बाद भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल 1996 1998 और 1999 में हुए चुनाव में लगातार तीन बार जीत हासिल करके तीन टर्म में सांसद बने।  1991 से  लेकर अभी तक पिछले 28 साल से  भाजपा बनारस में अविजित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले भाजपा के मुरली मनोहर जोशी यहां से सांसद थे। 1991 में विजयी हुए  श्रीश चंद्र दीक्षित बनारस के पहले सांसद बने।  पांच विधानसभा क्षेत्रों में रोहनिया सेवापुरी बनारस छावनी बनारस (उतर) और बनारस दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र  है। 2014 लोकसभा चुनाव में यहां 18 लाख 35 हजार 438 मतदाता थे।  गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव लड रहे मोदी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन लाख 71 हजार 784 मतों से हराया था। केजरीवाल को दो लाख नौ हजार 238 वोट मिले थे। मोदी को कुल 5,81,022 मत मिले थे। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी और सपा के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी। बनारस में भारी जनसमर्थन पाने के बावजूद मोदी यदि 11 हजार और वोट पा जाते तो आरामबाग संसदीय क्षेत्र से सीपीआई सांसद अनिल बसु का वह रिकॉर्ड नहीं तोड़ सके। 5,92,502 वोट पाने वाले अनिल बसउह देश में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले रिकार्डधारी सांसद है। देश के सबसे प्राचीन प्रसिद्ध और धार्मिक शहर के रूप में प्रतिष्ठित संसदीय क्षेत्र से कभी चंद्रशेखर कमलापति त्रिपाठी अनिल शास्त्री मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेता सांसद रहे हैं। मगर कोई भी  दोबारा चुनाव नहीं जीत हासिल की। प्रधानमंत्री मोदी भी पिछले चुनाव में बडोदरा से भी पर्चा भरा और चार लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी,मगर बनारस को अपने लिए रखते हुए बडोदरा सीट खाली कर दी थी। इस बार भी उनके उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी से चुनाव लडने की खबर है। मगर देखना है कि क्या वे भविष्य में बनारसी सांसद रहेंगे या उड़ीसा को धारण करके  पुरी सांसद के रूप में लएकसह में प्रतिष्ठित होंगे।  गुजराती पीएम को टक्कर देने के लिए गुजराती पाटीदार युवा तुर्क नेता हार्दिक पटेल को उतारा जाएगा या भाजपा के बागी सांसद  मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा से काशी नगरी में संघर्ष होगा। आज की कोलकाता रैली में जिस तरह शत्रुध्न सिन्हा और हार्दिक पटेल को फोकस किया गया है उससे तो यही संदेश जाता है कि संपूह विपद इस बार काशी करवट के लिए जगत विख्यात वाराणसी मेह नयी राजनैतिक करवट लेने के लिए तैयार है। देखते है कि बनारस में इस बार जय भोलेनाथ बाबा किसके खेवनहार बनते हैं।
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