राजद के साथ जाना एक भूल थी, जिसे सुधार लिया है: नीतीश कुमार|

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अनामी शरण बबल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विमर्श

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल ( राजद) के साथ जाना और उनके साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाकर शासन करना जेडीयू और मेरे लिए एक भूल थी। हालांकि उस समय के हालात के अनुसार किया गया थ, मगर साथ : सुंदर शानदार यादगार और उपलब्धियों में गिनाने लायक नहीं रहा। मैंने आरंभ में ही साफ कर दिया था कि करप्शन से कभी भी कोई समझौता नहीं हो सकता और करप्शन के आरोपों से घिरे उपमुख्यमंत्री ने सफाई देने से इंकार कर दिया। तब मेरे पास राज्यपाल के पास जाकर इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। इस बात को लेकर मुझे भाजपा से मिलकर राजद को सता से बेदखल करने का आरोप लगता है,मगर हकीकत है कि राज्यपाल को इस्तीफा देने जाने समय तक भाजपा एनडीए का कोई अॉफर नहीं था। मगर इस्तीफा देकर लौटते ही भाजपा के सुशील मोदी ने आकर अॉफर देते हुए सरकार बनाने का अनुरोध किया। जिसके बाद जेडीयू की एक बैठक में इसका फैसला किया गया और कुछ ही घंटों के बाद बिहार में फिर से सरकार बना ली गयी। एनडीए घटक दल जेडीयू के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक टीवी कार्यक्रम में इसका रहस्योद्घाटन किया।—–  भविष्य के बारे में श्री कुमार ने कहा कि अब एनडीए से अलग होने का सवाल नहीं है। एनडीए के साथ 17 साल का रहा था। और अब फिर हमलोग साथ ही है। उन्होंने कहा कि एनडीए के गठन के समय उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या को लेकर एक लाईन खींची थी। कि सर्वसम्मति से निर्माण हो या कोर्ट के फैसले के बाद ही मंदिर को लेकर  कोई फैसला किया जाएगा। श्री कुमार ने कहा कि बीस साल से अधिक समय हो जाने के बाद भी भाजपा के प्रधानमंत्री अटलजी से लेकर नरेंद्र भाई मोदी तक इसका पालन कर रहे हैं। यही निष्ठा है कि एनडीए को लेकर कोई संकट संदेह और अविश्वास नही है। एक सवाल के जवाब में श्री कुमार ने कहा कि पहले जनसंघ और अब  आरएसएस को लेकर कोई समस्या नहीं है। सामाजिक संगठनों की तरह ये काम करते हैं इनका कोई छिपा ऐजंडा भी नहीं है। इनकी निष्ठा पर संदेह नहीं किया जा सकता है। पिछले आठ दशक से ये सक्रिय भी है। संघ जनसंघ के बारे में कौन नहीं जानता है। इसके बावजूद इस पर सवाल उठाना विवादित करना ग़लत है और मैं मानता हूं कि सबों को सच जानकर ही बोलना चाहिए। राजद के साथ सरकार चलाने के अनुभव पर श्री कुमार ने कहा कि हमलोग के संबंध राजनीति और पारिवारिक अलग अलग होते हैं। लालू प्रसाद यादव जी के साथ पारिवारिक जीवन आज़ भी सौहार्द भरा है। तेजस्वी आज भी मेरे स्नेह का पात्र और हकदार हैं। उन्होंने कहा कि अख़बारी बयानों से कुछ अंतर नही पड़ता। उन्होंने कहा कि मैं बहुत ज्यादा बोलने में यकीन नहीं करता। काम बोलता है। अभी चुनाव हुए नहीं कि कुछ लोग (तेजस्वी) अभी से कहना चालू कर दिया कि एनडीए भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी। मुस्कुराते हुए कुमार ने कहा कि कुछ लोग बोलकर ही मन को शांत और संतुष्ट कर लेते हैं।—–  बिहार में चुनावी तालमेल में उपेन्द्र कुशवाहा को बाहर रखने वाले कहा कि वोट को खींचने की क्षमता कुशवाहा एंड कंपनी में नही है। विधानसभा चुनाव में 20 सीटें दी गई थी मगर केवल दो सीटों पर ही विजय मिली। कुशवाहा जी कि बार बार गलत बयानी के बाद अलग किया गया। तीन सीटों पर भी सहमति बन जाती,मगर वे चार पांच पर ही अडिग रहे। लोजपा को ज्यादा सीटें दी गई है, क्योंकि रामविलास पासवान जी वोट खींचने में कामयाब रहते हैं, और उनको लेकर कोई समस्या नहीं है।  बिहार में पहले से बेहतर परिणाम आएंगे और फिर से नरेंद्र मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना अवश्यम भावी है। 
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