सपा-, बसपा गठबंधन राजनीति की एक नयी ताकत कमल के लिए आफ़त /

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अनामी शरण बबल

नयी दिल्ली। उत्तरप्रदेश की राजनीति में कभी भाई बहन के रूप में विख्यात बसपा की जगत बहन जी मायावती और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के रिश्तों लंबे समय तक चल नहीं पाए। टूटे हुए उसी रिश्ते को पुनर्जीवित किया गया है। राजनीति से लगभग रिटायर हो गए मुलायम सिंह यादव के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह कमाल कर दिखाया है।बुआ और बबुआ की जोड़ी से उत्तरप्रदेश का पूरा समीकरण बदल गया है। पिछले आम चुनाव में भाजपा को 71 सीटें मिली थीं। मगर इस बार दलित मुस्लिम और यादव के 50% मतो के सामूहिक ताक़त से भाजपा को पिछले प्रदर्शन के दोहराने की उम्मीद कम है। महागठबंधन से अलग सपा और बसपा ने यूपी के लिए अपने चुनावी योजना की घोषणा कर दी।  यूपी के 80 लोकसभा  सीटों में बसपा और सपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अमेठी और  सोनिया गांधी के  लिए रायबरेली सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा। शेष दो सीट रालोद के अजीतसिंह के लिए छोड़ी गयी है, बशर्ते वे मान जाए। अपने लिए अजीत सिंह पांच सीटें मांग थे। केवल दो सीटें ही रालोद के लिए छोड़ी गयी है, जिसको लेकर अजीत सिंह फिलहाल चुप्पी साध ली है।उत्तरप्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव  के साथ सूबे की 42% वोटरों का साथ है। कभी मौलाना मुलायम के नाम से विख्यात  मुलायम सिंह यादव के साथ आज़ भी मुस्लिम समुदाय का जुड़ाव कायम है। उस तरह 50% मतों के बूते सपा-बसपा इस बार धमाल करने का इरादा रखते हैं। दोनों  का एक साथ आना इनको ताकतवर बना दिया है,मगर सामूहिक वोटरों के बावजूद अकेले अकेले  कोई धमाल या कमाल नहीं कर पाते। करीब 25 साल के बाद मायावती और अखिलेश के बीच आदर सम्मान विश्वास प्यार लगाव अपनापन और बुआ की हर बात मानने के लिए तैयार अखिलेश के आदर  समर्पण को पूरा सम्मान दिया। दोनों एक  बराबर 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। मायावती ने कहा कि सपा के साथ यह तालमेल स्थायीत्व के लिए है। हमलोग में कोई तनाव और इगो नहीं है। उधर सपा के अखिलेश ने कहा कि बसपा से कोई कठिनाई कभी नहीं होगी। जरुरत पड़ने पर जब भी मौका लगा तो सपा कुछ कम सीटों को पाकर भी संतुष्ट रहेंगी। उन्होंने कहा कि मायावती को प्रधानमंत्री बनाने की शुरुआत की यह बडी पहल है।उल्लेखनीय है कि आज़ एक तरफ सपा-बसपा का चुनावी सस्पेंस को जग जाहिर कर दिया गया है। उधर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा- बसपा के तालमेल को स्वार्थ का गठबंधन करार दिया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार पहले से अधिक 74 सीटों पर जीत हासिल करने का दावा किया है। यानी यूपी की बिसात पर 2019 लोकसभा चुनाव का हुंकार हो गया है। सपा बसपा की सामूहिक ताक़त से फिलहाल भाजपा के लिए इस बार पार पाना आसान नहीं होगा।
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