भारतीय मनोरंजन से पाकिस्तान को अपनी संस्कृति लुप्त होने का डर/ अनामी शरण बबल

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नयी दिल्ली। कभी एक रहे भारत और पाकिस्तान के बीच अजीब सा रिश्ता है। भारत को पाक से सीमा-पार से घुसपैठ घुसपैठियों आतंकवाद आतंकी घटनाओं और युद्ध का डर बना रहता है। भारत की सुरक्षा और किसी भी राज्य शहर में खून खराबे का भय बना रहता है। जिससे एक अविश्वास का माहौल और रिश्ता है। जिससे निपटने के लिए पाक से लगी  सीमाओ पर सुरक्षा कर्मियों का सख्त पहरा रहता है।— भारत यदि पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों और अशांति फ़ैलाने की हिंसक खूनी नापाक इरादों से परेशान हैं,तो पाकिस्तान भी भारतीय टीवी चैनलों संगीत सिनेमा फैशन और आधुनिक तौर तरीकों से परेशान हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से लेकर दुनिया के सबसे रंगीन मोहक और अपने जमाने के किक्रेट के सुपरस्टार के बाद पाक के प्रधानमंत्री बने इमरान खान भी भारतीय मनोरंजन संगीत और टीवी चैनलों से अपने देश की सभ्यता संस्कृति रहन सहन रीति रिवाज और बोलचाल के बदलते स्वरूप से आशंकित है। पाकिस्तान में 65 से लेकर 80 फीसदी लोग भारतीय मनोरंजन संगीत सिनेमा और कल्चर के दीवाने हैं। जिससे पाक की नयी पीढी की मौज मस्ती को प्रधानमंत्री इमरान खान सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं।—–उल्लेखनीय है कि पाक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पाकिस्तान में तमाम भारतीय चैनलों को प्रतिबंधित करने की वकालत की है।  पाकिस्तान के ज्यादातर राजनीतिक दलों को भी लगता है कि भारतीय सिनेमा टीवी धारावाहिक संगीत और कलाकारों के बिंदासपन से पाकिस्तानी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति सभ्यता परम्परागत तरीके रीति रिवाज और बोलचाल की तहजीब को नकारने लगी है। प्रधानमंत्री इमरान खान इस बात से चिंतित हैं कि बच्चों को उर्दू की बजाय हिंदी में बातचीत करना गानों का गुनगुना रास आने लगा है। कलाकारों का नक़ल करना और हिन्दुस्तानी समाज की तरह रहन सहन और पहनावे की लोकप्रियता से पाकिस्तान अवाक है। पाकिस्तान के होटलों रेस्तरां क्लब बार  से लेकर डांस म्यूजिक स्टेज शो नाटकों से लेकर स्कूलों के कार्यक्रमों आयोजनों में भी भारतीय गानों और संगीत का बोलबाला है। इंडियन म्यूजिक के बगैर कोई भी कार्यक्रम में न रौनक है और ना ही रंगीलापन है। बाजार से लेकर पाकिस्तानी वाहनों और सार्वजनिक परिवहन के बसों में भी भारतीय गीत संगीत की धूम मची है। जिसे पाकिस्तान के लिए सबसे बडा खतरा माना जा रहा है।[11/01, 9:56 AM] asb deo@gmail.Com2018: भारतीय मनोरंजन को पाकिस्तान अपने लिए सबसे बडा सांस्कृतिक हमला मान रहा है। जिससे वहां के तौर तरीकों रहन सहन  बोलचाल पसंद नापसंद पर इसका गहरा असर पड़ा है। युवाओं की धार्मिक सोच और कट्टरपन में कमी आई है। अंग्रेजी के लिए रूझान में तेजी आईं हैं। सरकार की विदेश नीतियों से लेकर भारत के लिए सहानुभूति बढी है। भारतीय समाज में खुलेपन और लड़कियोंऔरतों में आगे बढ़ने की ललक और अवसर से भी पाकिस्तानी महिलाओं में गज़ब का आत्मविश्वास पनपा है। युवा पीढ़ी में उत्पन्न उत्साह और जीवनशैली को लेकर उत्साहित नजरिए से भी पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठनों में हैरानी है। उर्दू से अधिक हिंदी और अंग्रेजी सीखने और बोलने की आदत हिम्मत ललक और जरुरत  से भी पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ चिंतित हैं। खुद प्रधानमंत्री इमरान खान भी भारतीय तहजीब को पाकिस्तानी अवाम के लिए खतरनाक बदलाव मान रहे हैं। पाकिस्तानी चैनलों और रेडियो कार्यक्रम में शामिल हिन्दुस्तानी संगीत की प्रतिशत को कम करने से रेटिंग के गिरने का खतरा है। भारतीय सिनेमा पर रोक लगाने से सरकार के सालाना हजारों करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचता है। इंडियन म्यूजिक एल्बम और फिल्मों का भारत से कही ज्यादा दीवानगी पाकिस्तान में है। और जानते हुए भी सरकार लाचार बहुत है। धार्मिक गाने गीत और शादी विवाह बारात के गाने भी पाकिस्तानी संस्कृति में शामिल हो गए हैं। दार्शनिक विचारों और धार्मिक धारावाहिक भी पाकिस्तानियों की पसंद में शामिल हैं। खासकर महाबली हनुमान रामायण महाभारत आदि की दीवानगी भारतीय जनता से कतई कम नहीं है। जिसको लेकर दीवानापन को पाकिस्तान सता और कट्टर संगठन पसंद नहीं कर रहे हैं। पर क्या करें पाकिस्तानी युवा पीढ़ी के नौजवानों का दिल है कि मानता नहीं।।

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