रहस्य रोमांच घपला गबन हेर-फेर देशप्रेम कांग्रेस के ताकतवर नेता / अनामी शरण बबल

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

द हेराल्ड बिल्डिंग स्थानांतरण घोटाला प्रकरण

नयी दिल्ली।

एक कहावत है कि शीशे के मकान में रहने वाले दूसरे के घर में पत्थर नहीं फेंकते। अलबत्ता विपक्षी एकता के सबसे बड़े अलंबरदार कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस के खजांची मोती लाल वोरा और कांग्रेस महासचिव ऑस्कर फर्नांडिस एक ऐसे गबन घोटाले और हेर-फेर में फंसे हुए हैं। पांच हजार करोड़ रुपए की जिस  हेराल्ड बिल्डिंग को बचाकर अपनी मिल्कियत करने की कोशिश में सबके हाथ काले है। अदालती आदेश पर दो सप्ताह के भीतर बहादुर शाह जफर मार्ग के  बहुमंजिली इमारत को खाली करना है। जिसके लिए सब गड़बड़झाला करके भी अदालत की आंखों में धूल झोंकने में कांग्रेस के ताकतवर नेता विफल रहे। फिलहाल सभी नेता जमानत पर हैं।——उल्लेखनीय है कि इसी माह खत्म हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जब देश का चौकीदार चोर है का नारा उछालते तो इसके जवाब में प्रधानमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तंज़ कसते हैं कि वे लोग मुझपर आरोप लगा रहे हैं जो खुद जमानत पर हैं। तो जमानत पर चल रहे कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी इसी हेराल्ड बिल्डिंग हेर-फेर मामले में वांछित है। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिरकार मामला और माजरा क्या है। वाकई एकदम रहस्य रोमांच सस्पेंश गबन घपले घोटाले से लबरेज हेराल्ड बिल्डिंग का थ्रीलर मामला क्या है।—–इलाहाबाद के नामी वकील मोतीलाल नेहरू के पुत्र और कांग्रेस के दिग्गज नेता जवाहर लाल नेहरू ने 1930 में दैनिक अंग्रेजी पेपर द हेराल्ड का प्रकाशन आरंभ किया। और बाद में हिन्दी दैनिक अखबार नवजीवन का प्रकाशन भी इसी प्रकाशन समूह का हिस्सा बना। उस समय इस अखबार समूह के लिए अनगिनत लोगों ने अनुदान दिया। जिससे इस प्रकाशन समूह के पास पांच हजार करोड़ रुपए इकट्ठा हो गए। लखनऊ और दिल्ली में इसकी अपनी अचल संपत्ति करोड़ो की हो गयी। मगर लापरवाह प्रबंधन के चलते यह समुह घाटे में आ गया और इसके सभी हिन्दी अंग्रेजी पेपर को बंद करना पड़ा। इसके बावजूद हेराल्ड समूह के पास आईटीओ मीडिया लेन स्थित हेराल्ड बिल्डिंग बची है। जिसका कागजी भाव पांच हजार करोड़ रुपए आंकी गई है, जबकि बाजार भाव दस हजार करोड़ रुपए से अधिक की है।   ——इस कहानी में तीन संस्थाओं की भूमिका है। पहली संस्था है द हेराल्ड दूसरी संस्था है यंग इंडिया लिमिटेड और तीसरी संस्था है 133 साल पुरानी आजादी के बाद देश पर सबसे लंबे समय तक सत्तारुढ़ रहने वाली कांग्रेस पार्टी। तीनों ही संस्था के अध्यक्ष राहुल गांधी  कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और कभी अध्यक्ष रही सोनिया गांधी ही इसके सबसे मुख्य पात्रों में एक रहे हैं। एक जगह पर कांग्रेस की बैठक में महासचिव ऑस्कर फर्नांडिस की उपस्थिति भर रही है।  हां तो जब घाटे के दौर में द हेराल्ड  के उपर 90 करोड़ रूपए का कर्ज हो गया।  इस कर्ज को उतारने के लिए द हेराल्ड ने यंग इंडिया लिमिटेड से बतौर लोन कर्ज लेने की पहल की। हेराल्ड समूह  के राहुल गांधी और सोनिया गांधी के कहने पर हेराल्ड के मोतीलाल वोरा ने यंग इंडिया लिमिटेड के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा से बात की।  तब यंग इंडिया लिमिटेड के वोरा ने यंग इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष राहुल गांधी और वरिष्ठ अधिकारी सोनिया गांधी से विचार विमर्श किया। और दोनों गांधी की सहमति पर यंग इंडिया लिमिटेड के वोरा ने  द हेराल्ड वाले वोरा को 90 करोड़ रुपए का कर्ज मंजूरी की सूचना के साथ एक वोरा ने दूसरे वोरा को 90 करोड़ रुपए का कर्ज बतौर लोन दे दिया। इसके बदले में द हेराल्ड बिल्डिंग की मिल्कियत यंग इंडिया के नाम स्थानांतरित कर दिया गया।             ———-इसके बाद  कांग्रेस पार्टी की एक बैठक हुई। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और कांग्रेस महासचिव ऑस्कर फर्नांडिस की उपस्थिति रही। जिसमें यह तय किया गया कि देश की आजादी में द हेराल्ड और नवजीवन की सकारात्मक भूमिका को देखते हुए कांग्रेस यंग इंडिया लिमिटेड के मार्फत द हेराल्ड को दिए गए कर्ज को माफ कर दे। इस तरह कांग्रेस के राहुल और सोनिया गांधी ने कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा को कर्ज माफी का आदेश दिया। जिसके तहत यंग इंडिया लिमिटेड के वोरा ने द हेराल्ड के वोरा को बताया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने कर्ज माफ़ कर दिया है। और इस तरह तीनों संस्थाओ के दो गांधी और एक वोरा ने आपसी सहमति और उपस्थिति में द हेराल्ड को कर्ज देकर कांग्रेस को शामिल करते हुए 90 करोड़ की माफी के साथ बिल्डिंग मिल्कियत को भी स्थानांतरित कर करा लिया और दिया। जिसमें 36% हिस्सा गांधी परिवार का है और बाकी हिस्सेदारी में ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा का भी शेयर है। और इस तरह हेराल्ड मामले का खामोशी से पटाक्षेप हो भी जाता। मगर इस बिल्डिंग मामले की गूंज अदालत में जा पहुंची। सघन जांच में सारा सस्पेंस खुल गया।——दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर द हेराल्ड बिल्डिंग को दो सप्ताह के भीतर खाली करने का फरमान जारी हो चुका है। उधर अदालती आदेश पर फिलहाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और मोतीलाल वोरा जमानत पर हैं। द हेराल्ड के बाद अब इन ताकतवर नेताओं के भाग्य का फैसला करने की बारी है। एक तरफ़ अदालती फैसले की तलवार लटक रही है तो दूसरी तरफ 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी दलों की एकता के सर्वमान्य  नेता की तरहा देखे जा रहे हैं। देखना है कि अंततः जमानत पर चल रहे राहुल गांधी बाबा इस मामले में वांछित होकर भी किस तरह बेदाग छवि के साथ बाहर निकलते हैं।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.