22 साल बाद कल से-फिर होगा जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन / अनामी शरण बबल

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जम्मू कश्मीर में फिर से राष्ट्रपति शासन

नयी दिल्ली।    जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के छह माह बीत चुके हैं। यहां के राज्य पाल सतपाल मलिक की अनुशंसा पर 20 जून को PDP &  BJP गठबंधन की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती  सरकार को बर्खास्त कर विधानसभा को निलंबित कर दिया। पिछले माह सरकार बनाने की पहल हुई और राज्य का पूरा तापमान गरम हो गया। कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी समेत कई अन्य दलों की सक्रियता से लगा कि कोई न कोई गठबंधन सरकार  बना लेगी। मगर जब-तक कोई वार्ता आगे बढ़ती, उससे पहले ही आधी रात को राज्यपाल सतपाल मलिक ने विधानसभा को भंग करके सरकार गठन की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हालांकि राज्यपाल के इस फैसले की देश भर में जबरदस्त  आलोचना हुई। अपनी सर्वत्र निंदा देखकर  राज्यपाल ने यह विलाप करके सहानुभूति लेने की असफल चेष्टा की थी कि मुझे भी कब हटा दिया जाएगा। इस तरह राज्यपाल सतपाल मलिक की आलोचना के साथ विधानसभा बहाली की उम्मीद भी समाप्त हो गयी ।                      —- उल्लेखनीय है कि आज 19 दिसंबर को राष्ट्रपति शासन लगाने की अवधि पूरी होने जा रही है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के पास राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा भेज दी है। राष्ट्रपति  द्वारा इस पर मुहर लगते ही अगले छह महीने के लिए फिर से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा। जम्मू कश्मीर में शेष भारत से अलग कानून और संविधान हैं। अन्य राज्यों में जहां धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू होता है। मगर इस सूबे में संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू होता है। यहां के राष्ट्रपति शासन को एक तरफ से राज्यपाल शासन भी कहा जाता है।

– जिसके तहत् केंद्र सरकार की मदद और निर्देशों के अनुसार ही राज्यपाल शासन करते हैं। ज्यादा संभावना है कि इस बार का 90 हजार करोड़ के बजट को भी राज्यपाल ही पेश करेंगे। जम्मू कश्मीर में आखिरी दफा राष्ट्रपति शासन अक्टूबर 1990 से 1996 तक लागू हुआ था।  अब देखना है कि लोकसभा चुनाव के समीप राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की संभावनाओं के बीच जम्मू-कश्मीर का सियासी माहौल और राजनीतिक मिजाज में क्या क्या नया रंग बदलता है।

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