हरियाणा के लखटकिया पूर्व विधायकों के पेंशन का लेखा-जोखा / अनामी शरण बबल

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 हरियाणा के पूर्व विधायकों के पेंशन का हिसाब-किताब  

 भारत के पूर्व एनडीए  प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल में सरकारी कर्मचारियों के लिए लाया गया न्यू पेंशन स्कीम( एनपीएस) एनडीए के ही प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के गले की फांस बनतीं जा रही है। इस पेंशन को लागू करते समय भारत रत्न बाजपेयी ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि उनके इस फैसले से कभी भविष्य में एनडीए सरकारों को ही युवा आक्रोश से जूझना होगा। और हरदिल अजीज दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेयी को भी अपने ख़िलाफ़ नारों पुतला दहन और मुर्दाबाद से भरे नारों का सामना करना पड़ेगा।सरकारी कर्मचारियों को उनकी 35-40 साल की नौकरी के बाद मुझे पेंशन के नाम पर ठगा जा रहा है तो विधायकों सांसदों पार्षदों को केवल पांच साल की जनसेवा के बदले जीवनभर टैक्स रहित आकर्षक पेंशन के हकदार बन जाते हैं।
  कई चरणों में विधायक रहने वाल़ों  के पेंशन तो लाखों में है। कुछ विधायकों का पेंशन तो इतना अधिक हैं कि भारत सरकार के सबसे बड़े नौकरशाह को भी रिटायरमेंट के बाद इतना पेंशन कभी नहीं मिलता है। हरियाणा के विधायकों के बाबत पेंशन का हाल लेना काफी दिलचस्प होगा। सूचना के अधिकार के तहत हरियाणा के पूर्व विधायकों का लेखा-जोखा देखकर इन खददरधारी जनसेवकों  की खादी की कमाई देखकर इनके वोटर जनता अचंभित हो जाएगी। हालांकि जनसेवकों के वेतनमान और पेंशन को लेकर पूरे देश की सोच बदल रही है।  इसके खिलाफ रोष भी पनपने लगा है। एनपीएस को खत्म करके पुराने पेंशन की मांग बलवती होती जा रही है। युवा सरकारी कर्मचारियों की मांगों पर मुहर लगाते हुए दिल्ली की आप सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उम्मीद की मशाल जला दी है। दिल्ली विधानसभा में एनपीएस की जगह दिल्ली के कर्मचारियों के लिए पुराने पेंशन योजना  को ही लागू करने का प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया है। केजरीवाल ने अपने साथी मुख्यमंत्रियों से भी बातचीत करके पुराने पेंशन के लिए  बात करने का भरोसा दिया है। निसंदेह केजरीवाल का यह आश्वासन उनके लिए लाभदायक होगा और  एनपीएस को हटाने की मांग को भी बल मिलेगा। मगर फिलहाल हरियाणा के भूतपूर्व विधायकों के पेंशन के हिसाब किताब को जानना-समझना दिलचस्प होगा। हरियाणा सचिवालय के सूचना अधिकारी और क़ानूनी सलाहकार की तरफ़ से बताया गया है कि इस समय 262 पूर्व विधायक हैं। इनके पेंशन पर राज्य सरकार को सालाना 23 करोड़ रूपये खर्च करना पड़ता है। पांच साल के अंदर विधायकों के पेंशन में 250 % की बढ़ोतरी हुई है। पांच साल पहले 2012 तक पूर्व विधायकों को 20250 रूपये प्रतिमाह पेंशन मिलता था। जिसे बढ़ाकर कांग्रेस सरकार के  मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक विधायक का न्यूनतम पेंशन को  51750 रूपये माहवारी कर दिया। केवल एकं बार विधायक बनकर आजीवन  51750 रुपये का पेंशन पाने वाले 161 विधायक हैं। यहां के 39 विधायकों  को 90543 रूपये का पेंशन मिलता है।
   बाकी विधायक लखटकिया पेंशन पाने वाले हैं। एक दर्जन से अधिक विधायकों को तो दो लाख रूपये से भी अधिक पेंशन मिलता है। जेल में बंद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के सुपुत्र ओम प्रकाश चौटाला को प्रतिमाह दो लाख 22 हजार रूपये मिल रहें हैं। अजय सिंह यादव को दो लाख38 हजार  चंद्रावती  को दो लाख 28 हजार प्रो. संपत सिंह को दो लाख14 हजार  भागीराम को एक लाख 91,475 रूपये शमशेर सिंह सुरजेवाला को एक लाख 75 हजार 950 रूपये मिलते हैं। अशोक अरोड़ा एकं लाख  60. हजार पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन विश्नोई एक लाख 52 हजार बलवीर पाल शाह को दो लाख रूपरेखा सहित मोहम्मद इलियास, निर्मल सिंह, कंवल सिंह, कमला वर्मा, दिल्लूराम देवीदास शारदा रानी सतवीर कादियान, शंकुतला भगवाडिया, मांगेराम गुप्ता, फूलचंद मुलाना, खुर्शीद आलम, धर्मवीर गाबा, हरमोहिंदर चड्डा लखटकिया विधायकों में आते हैं। दिल्ली के विख्यात समाजसेवी स्वामी अग्निवेश भी कभी हरियाणा के विधायक रह चुके हैं। उनको मुझे आज दिल्ली में रहते हुए 51,750 रूपये का पेंशन मिलता रहता है।    दिवंगत मुख्यमंत्री भजनलाल की विधवा और विधायक रह चुकी जसमा देवी को विधायक पेंशन 51,750 रुपये के अलावा दिवंगत पति के घरेलू पेंशन के रुप में 99,619 रुपये का पेंशन एक साथ मिलता है। वहीं देश के सबसे बड़े उद्योगपति घरानों में जिंदल समूह की चेयरमैन की कुल संपत्ति 88 अरब की है। विधायक रह चुकी पूर्व विधायकों को  90,563 रूपये का पेंशन मिलता है।   हालांकि ज्यादातर  विधायकों की माली हालत करोड़पति की है, इसके बावजूद किसी विधायक ने अपना पेंशन नहीं लेने का फैसला नहीं किया है। तों कभी दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष रही हरियाणा की मंत्री रही किरण चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री वंशीलाल की बहु भी है। सुरेन्द्र चौधरी की मौत का घरेलू  पेंशन12950 मुख्यमंत्री विधायक वेतनमान के साथ पाती है। चिरंजीलाल की विधवा को 34931 रूपये का पेंशन मिलता है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता और संविधान सदस्य रह चुके रणवीर सिंह हुड्डा  की विधवा हरदेवी हुड्डा को प्रतिमाह 23288   रूपये का पेंशन मिलता हैइनके पेंशन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। पेंशन के अलावा इन्हें हवाई रेल यात्रा सहित चिकित्सा का पूरा पूरा खर्च सरकार ही वहन करती है।
 पूर्व विधायकों के पेंशन की माया और सरकारी उदारता के सामने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग को ग़लत नहीं ठहराया जा सकता है।
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