उत्तराखंड के स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा से अधिक कांग्रेस और निर्दलीयों ने बाजी मारी / अनामी शरण बबल

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उत्तराखंड में सबको चौंका गया निकाय चुनावों के परिणाम 

उत्तराखंड के नगर निगम और स्थानीय निकायों के चुनावों के परिणाम ने सबको चौंका दिया है। सात नगर निगमों सहित 84निकायों के लिए हुए चुनाव में 23 निकायों के अध्यक्ष पद पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना परचम लहराते हुए सबको अचंभित कर दिया। पांच निगमों में महापौर सहित 34 निकायों पर भाजपा के प्रत्याशी मैदान मार लिए। कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत उत्साहित करने वाला नहीं रहा। राजधानी देहरादून नगर निगम के महापौर पद पर भाजपा का कब्जा हो गया है।

  शेष दो नगर निगम महापौर सहित 17 निकायों पर कांग्रेस की जीत रही है इस प्रदर्शन से जहां उत्साहित प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी ने उत्तराखंड की जनता के समर्थन और आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दिया है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे उत्तराखंड में कांग्रेस और समर्थकों की जीत कहा है। उन्होंने कहा कि 84 निकायों में 50 निकायों पर तो एंटी बीजेपी वोटिंग हुए हैं और यह कांग्रेस सहित विरोधी जनमानस का केंद्र सरकार के प्रति बगावत है। जिससे 2019 में जनता के मिजाज को परखा जा सकता है। कांग्रेस के महासचिव अशोक गहलोत ने भी उत्तराखंड के जनादेश को स्वागत किया। बहरहाल देखना है कि भाजपा शासित राज्यों में एक उत्तराखंड के स्थानीय निकायों के परिणाम से विपक्ष काफी संतोषजनक मान रहे हैं। भाजपा नेताओं को भी निकायों के चुनावों के कम से कम 10-12 निकायों में और जीतने की आशा थी। निकाय चुनाव एकदम लोकल समस्याओं पर आधारित होता है जिसमें समाज के हर वर्ग की भागेदारी रहती है इस चुनाव के परिणाम का राष्ट्रीय महत्व भले ही ना हो मगर इसके राज्य में शासित भाजपा सरकार के रहते बहुमत से कम निकायों पर जीतना सरकार के लिए एक खतरनाक संकेत है। दिल्ली लोजपा के सचिव दर्शनलाल ने भी राज्य और केंद्र सरकार के लिए  इस परिणाम को  जनता के बदलते मिजाज का परिचायक है।
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