महाराष्ट्र के आंदोलनकारी किसानों की कथा-व्यथा

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मुख्यमंत्री के आश्वासनों के आगे महाराष्ट्र के किसानों का आंदोलन फिर नतमस्तक / अनामी शरण बबल

महाराष्ट्र के मुलुंड से जिस दिन हजारों किसानों का जत्था दल बल और के साथ मुंबई के आजाद पार्क के लिए रवाना हुआ था, उसी दिन से किसानों को जनता को और महाराष्ट्र के देवेंद्र फडण्वीस सरकार को यह पता था कि पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है और सब फिक्स मैच की तरह सबकुछ मैनेज हो जाएगा। और सचमुच जिस सादगी शांति और भरोसे के साथ हजारों किसानों ने जेंटलमैन आंदोलनकारी समूह का धीरज प्रदर्शन का परिचय दिया वह भी सबों को अचंभित कर दिया। उधर सरकार ने  भी किसानों की जो देखरेख करके आवभगत के साथ मुंबई में अगवानी करके शांत रखा।

देर शाम तक लोक संघर्ष समिति के किसानों नेताओं के साथ लंबी बैठक करके सभी मांगें मान ली। तीन माह की मोहलत मांगते हुए मुख्यमंत्री ने इसकी पूरी समीक्षा के बाद ही कर्ज माफी सहायता राशि और अनुग्रह राशि देने की घोषणा की जाएगी। मुख्यमंत्री के भरोसे और लिखित अनुबंध पर भरोसा करते हुए आंदोलनकारी किसानों ने अपने आंदोलन धरना प्रदर्शन और विरोध को खत्म करने का ऐलान किया। किसानों ने मुख्यमंत्री को अपने वायदे के प्रति गंभीर बताया।  सरकार की तरफ से आजाद पार्क में बैठे किसानों के भोजन और वापसी की व्यवस्था करने का भरोसा दिया बहरहाल खाली हाथ मुंबई आए किसानों का प्रर्दशन समाप्त होने के बाद भी वापसी के लिए कूच करने वाले किसानों के पास भी केवल भरोसे की ही टोकरी है। देखना है कि देवेंद्र फडण्वीस सरकार किसानों की कसौटी पर कितना खरा साबित हो पाते हैं।

अनामी शरण बबल
अनामी शरण बबल
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