जनहित और देशहित की बातें करना यदि राष्ट्र विरोधी है तो मैं राष्ट्रविरोधी हूं – शत्रुघ्न सिन्हा /अनामी शरण बबल

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 भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से बातचीत

मैं पिछले 45-50 साल से सार्वजनिक जीवन में हूं। सिनेमा हो या राजनीति या दुनिया के सैकड़ों शहरों यूनिवर्सिटी संस्थानों में जाकर हमेशा जनता के सरोकारों की हितों की बात की है, जनता के हर दुख दर्द आपदा विपत्ति में भी अपने स्तर पर हमेशा मदद करने कराने की पहल की है। देश के अहितकर जनविरोधी ताकतों के खिलाफ आवाज बुलंद की है। एक कलाकार होने के नाते जनता से प्यार करता हूं। जनता ही मेरे लिए भगवान है और जनहित में आवाज उठानाऔर गलत नीतियों के विरोध करने का मतलब यदि देशविरोधी एंटी नेशनल की तरह देखा जाता है तो सबसे बडा देशविरोधी हूं। देश की करोड़ों जनता मुझे 50 साल से जानती और मानतीं है। मुझे किसी से सर्टिफिकेट लेने या नागरिकता के लिए राशनकार्ड आधार कार्ड बनवाने की जरूरत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री और मशहूर फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने समग्र भारत के साथ बातचीत करते हुए अपने तेवर और लोकलुभावन अंदाज में उपरोक्त बातें कहीं  श्री सिन्हा ने कहा कि देश की सवा करोड़ जनता भी सचमुच में मेरा भाग्य नियंता और मालिक हैं। आज शत्रुघ्न सिन्हा को भारत से बाहर भी यदि लाखों करोड़ों लोगों का प्यार हासिल है तो केवल इसी जनता के कारण। जनता ने ही पटना बिहार के एक टपोरी टाईप के लड़के को मुंबई में रखा अपनाया और पर्दे का स्टार बनाया। केवल जनता ही है जो हर शुक्रवार के दिन हीरो को जीरो और जीरो को हीरो बना देती है। राजनीति और सिनेमा में यही अंतर है कि एक बार फैसला हो जाने के बाद जनता के हाथों में फिर कुछ नहीं रहता। पांच साल के बाद ही पब्लिक अपनी भूल को सुधार सकती है। एक अभिनेता या अभिनेत्री को जीवन में सैकड़ों चुनाव यानी फिल्म रिलीज डेट शुक्रवार को जनता की कसौटी पर खरा उतरना होता है। राजनीति से कहीं ज्यादा असुरक्षित और हमेशा गिरने के खतरों से गुजरना होता है। तभी तो ये पब्लिक है और सब जानती है कि अंदर क्या है और बाहर क्या है। सबसे जीनियस पब्लिक को बेवकूफ़ बनाने वाला कोई भी आदमी सबसे ज्यादा गलतफहमियों का शिकार होता है। जनता के मूड को नकारना एक तरह से अपने आप को नजरअंदाज करने के समान है। और आज राजनीति में इस तरह के लोग आ गये हैं जो अपने आपको सबसे बड़ा सूरमा मानकर चल रहे हैं। जनता को संबोधित करने वाले सभी दलों के नेताओं द्वारा केवल जनता की आंखों में धूल झोंका जा रहा है।  एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं न बागी हूं और न किसी काऊ विरोधी हूं। मैं सांसद हूं कोई गुलाम नहीं कि – उठ जा उठ गयी और बैठ जा बैठ गयी- किसी के आदेश पर लंगूर की तरह उछलता कूदता रहूं। मैं जीवन भर आजाद अपनी और जनता की आजादी के लिए बोलता रहा ओ। एक कर्तव्यनिष्ठ पूर्ण अनुशासित कार्यकर्ता की तरह हूं। मैं किसी सर्कस का शेर नहीं कि कोई रिंग मास्टर के हाथों में मेरी नकेल हो। दुनिया के किसी भी आदमी को मै यह इजाजत कभी नहीं दे सकता जिससे मेरी स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति बाधित हो। एक सवाल के जवाब में श्री सिन्हा ने कहा कि मेरा किसी से न विरोध है और ना ही कोई बगावत है। पर जनता के बीच जनमुक्ति जनमुददों को उठाने के लिए भी मै किसी बंधन को नहीं मानता। पार्टी की लक्ष्मण रेखा को को मैं पिछले दो दशक से जानता और पालन करता रहा हूं। यह पूछे जाने पर कि आपको पार्टी एक बागी की तरह क्यों देखती है? इस पर ठहाका लगाते हुए कहा कि कौन मानता है बागी मुझे? अपनी पार्टी में नीचे से लेकर उपर तक के लोग मुझसे मिलते हैं विमर्श करते हैं तो क्या मैं बागी हूं? तो क्या हैं? तलवारबाजी भी और इश्कबाजी भी क्या अंतर है या संतुलन है? क्या सार है आपकी बातों का? देखो जहां कहीं भी किसी भी संगठन पार्टी समूह संस्था संस्थान में विरोध आलोचना प्रतिवाद निंदा या निष्पक्ष समीक्षा के रास्ते बंद हो जाते हैं तो वहां पर जनहित में जनसुनवाई जन भागीदारी की संभावनाएं खत्म हो जाती है। खुद बहुत-बहुत खुद लोग दादा से हो जाते हैं और बाकी सब सेवक दास की तरह एक खास मौके तक निढाल से पडे रहते हैं। मुझे तो भाजपा में नानाजी देशमुख ने लाया था। माननीय अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी जी ने संवारा राज और नीति का ज्ञान दिया। मैं तो पार्टी के सूर्योदय काल से जुडा हूं। जहां पर अंत  में किसी वाद विचार विमर्श और मामलों पर एक सत्र ही आलोचना की रखी जाती थी ताकि दूसरे पहलूओं पर भी ध्यान जा सके। आज इस पर बंधन लग गया है। पार्टी और सरकार को किसी कंपनी की तरह चलाया जा रहा है बंद कमरे में कोई फैसला करके सबकी हाथ उठाकर सहमति की परिभाषा दी जा रही है।  =              ====== क्या आपकी इन बातों को पार्टी विरोधी चश्मे से नहीं देखा जाएगा? फौरन पलटकर की तरह कहा मैंने किसी को रोक रखा है क्या? पार्टी के भीतर आपका भविष्य क्या है? श्री सिंह ने कहा कि मेरे भविष्य का भाग्य निर्माता मेरे लोग मेरी जनता है। और मेरा ही क्यों सभी नेताओं को जनता के आशिर्वाद का ही वरदान है कि उनको शिखर पर ले जाती है। जनता को हीरो से किसी को जीरो बनाने में देर नहीं। क्या आपको पार्टी से निकाल बाहर का डर नहीं लगता? इस पर एकदम मुंबईया अंदाज में कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा न कभी किसी से डरा है और न कभी डरेगा। जिनको मैं बागी लगता हूं तो वे मुझे पार्टी से निकाल सकते हैं। यह मेरा अपना घर है, और घर के भीतर दरवाजे खिड़कियों छत से लेकर बैठकखाने या गुसलखाने की हालत को देखते का जिम्मा अधिकार और कर्तव्य भी मेरा ही है। और यदि कभी निकाल बाहर कर दिया गया तो? ( हंसते हुए तो क्या मुझे निकलवा करके ही तुम दम लोगे)  तो क्या आज भी जनहित पर बोलता हूँ और कल भी थोड़ा और मुख्य होकर बोलूंगा। एक सांसद होने का मतलब किसी की गुलामी नहीं है। सांसद बनने के लिए तो जिस पार्टी के साथ जुड जाऊं तो वहां से ही अॉफर खुला निमंत्रण भी है। सभी मेरे मित्र हैं। लालूजी हो या नीतीश कुमार मुलायम सिंह यादव हो या अखिलेश यादव हों ममता बनर्जी हो या अरविंद केजरीवाल। कौन मेरा दुश्मन है। सभी से अपना नाता है। और फिर मैं जनता से संवाद करके लोकसभा में जाना पसंद करने वालों में हूं। पर्दे के पीछे से बैकडोर पॉलिटिक्स करने वालों में नहीं हूं।  सभी मेरे दोस्त हैं उनका घर है संगठन है पर मेरा भी घर है और घर रहते मैं किरायेदार नहीं बन  सकता। चुनावी जन सभाओं में भी आपकी शिरकत नहीं है? श्री सिन्हा ने कहा कि यही सब तो पार्टी के समक्ष दिक्कतें आ गयी है। सुषमा स्वराज जैसी विदुषी वाकपटटू हेमामालिनी आद को चुनाव के समय सामने करना चाहिए जो नहीं हो रहा है। पब्लिक सब देख रही है और पब्लिक को दुनिया की कोई भी ताकतवर हस्ती नकार नहीं सकती है।।।

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