हे राम। बिहार के सुशासन कुमार के सुशासन राज का इतना बुरा हाल ? /अनामी शरण बबल

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बिहार में सुशासन राज का काला सच

जनतादल यूनाइटेड के अध्यक्ष, बिहार में एनडीए गठबंधन जेडीयू- भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उर्फ सुशासन  कुमार के बिहार का बुरा हाल है। बिहार की एक पूर्व मंत्री पिछले एक माह से लापता हैं और मुख्यमंत्री समेत पुलिस को कुछ पता नहीं है। बिहार के शेल्टर होम में सालों से नाबालिग लड़कियों को नशीला पेय देकर बलात्कार किए जा रहे हैं। विरोध करने पर कई लडकियों को मारकर दबा दिया जाता है फिर भी कहीं कुछ नहीं हो पाया। पटना के एक शेल्टर होम से एकाएक आधा दर्जन लडकियों के भागने के मामले को भी इसे दबाने छिपाने की कोशिश हो। विपक्षी दलों द्वारा शेल्टर होम की लडकियों को दबंग नेताओं नौकरशाहों के पास भेजे जाने के आरोपों के बावजूद इसकी जांच नहीं की जाती है। ये चंद शर्मनाक मामले बिहार के मुख्यमंत्री सुशासन कुमार उर्फ नीतीश कुमार की नाक के नीचे घटी है या घटती रही इसके बावजूद सुशासन कुमार खामोश रहे।
=== और जब मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के शोषण बलात्कार और हत्या की खबरों से बिहार समेत पूरा देश अचंभित था। उसी समय इस मामले में पहली बार अपना मुखारबिंद खोलकर मुख्यमंत्री सुशासन कुमार ने अपनी खामोशी तोड़ी। अपने कैबिनेट की सहयोगी मंत्री मंजू वर्मा को क्लीन चिट देते हुए सभी आरोपों को नकार दिया था। एक तरफ मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर का बेशर्मी से मुस्कुराता हुआ चेहरा अखबारों में छप रहा था। एक तरफ सुशासन कुमार अपने मंत्री का बचाव कर रहे थे तो दूसरी तरफ मंत्री मंजू वर्मा के पति और ब्रजेश ठाकुर की निकटता की खबरें आ रही थी। तो दूसरी तरफ शेल्टर होम की नाबालिग लडकियां सीबीआई की जांच पूछताछ तथा फोटो दिखाने पर  मंजू वर्मा के पति को बलात्कारी की तरह पहचान रही थी। शेल्टर होम का संचालक ठाकुर खुद को इज्जतदार आदमी और पत्रकार संपादक घोषित करके अपनी पहुंच के दावे करता रहा। पटना जेल में बंद ठाकुर के पास दर्जनों फोन नंबरों की सूची के साथ मोबाइल जब्त किया गया तब कहीं जाकर ठाकुर को अदालती आदेश पर बिहार से बाहर भेजा गया। तो अपने पति को बेकसूर कहते-कहते उग्र और बावली सी हो जाने वाली समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा पत्रकारों को देखते ही उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को सिक्योरिटी -सिक्योरिटी चिल्लाने लगती। एक तरफ मुख्यमंत्री सुशासन कुमार अपने मंत्री का बचाव ही करते रह गये और मंत्री पति तो पहले ही जेल की हवा खा रहा है। और दूसरी तरफ तमाम शेल्टर होम से दलाली खाने और नाबालिग लड़कियों के उपर हो रहे शोषण अत्याचार बलात्कार की जानकारी होने के बाद भी मामले की अनदेखी करने वाली मंजू वर्मा के जेल जाने का खतरा मंडरा रहा है। समाज कल्याण मंत्रालय की मंत्री रही मंजू वर्मा ने अपने पति को ही अपना दलाल बना दिया था ताकि कमी में कोई हेराफेरी न रहे और घर की बात घर में ही रहे। मंत्री पति को दलाली खाने और अपनी बेटियों से भी कम उम्र की लडकियों के जिस्म नोंचकर अपनी हवस मिटाने का ऎसा चस्का लगा कि बिहार के तमाम शेल्टर होम को ही कोठा बना दिया। और अपने दलाल पति की कामुकता को पैसे के आमद के सामने भूल गयी।  शेल्टर होम शोषण की जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो सुशासन कुमार  समेत सुशासन राज में अपने कर्तव्य और काम को भूलकर सुशासन छवि को बचाने की चाकरी में लगे राज्य के मुख्यसचिव और पुलिस महानिदेशक को कोर्ट में तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर हैरान रह गया कि एक मंत्री एक माह से लापता है और पुलिस को पता तक नहीं है। मुख्यमंत्री को भी कुछ जानकारी नही है। इस मामले में कोर्ट ने सीधे पुलिस महानिदेशक को हाजिर होने का फरमान सुनाया। शेल्टर होम के उपर कार्रवाई की जानकारी तक कोर्ट में नहीं रखने पर सुनवाई कर रहे सभी न्यायाधीश अवाक् रह गये। इस मामले में भी कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी कोर्ट में हाजिर होकर पूछा जानकारी देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस सुप्रीम फरमान और सख्ती से सुशासन राज संकट में है। तमाम सबसे बड़े अधिकारी सांसत में है। और उनके सामने सुशासन राज की रक्षा करने से ज्यादा जरुरी अभी अपने खाल की रक्षा करना हो गया है। अब देखना है कि क्या पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को बिहार पुलिस पकड़ती है? ठाकुर के पास से मिले नंबरों के अलावा अपने कारवाई की अन्य जानकारी भी अब पुलिस महानिदेशक को कोर्ट में रखना होगा। देखना यही है कि सुप्रीम कोर्ट में बिहार के सुशासन के पोस्टमार्टम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या आहत होकर सूबे की हालत को संवारने की कोशिश करेंगे?
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