छोटे छोटे प्रांतीय गठबंधन बनाकर ही एनडीए को पराजित करना संभव :यशवंत सिन्हा / अनामी शरण बबल

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अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा से एक मुलाकात

              राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन( एनडीए) को विपक्ष का राष्ट्रीय स्तर पर एक मोर्चा या गठबंधन करके अगले साल होने वाले आम चुनाव में पराजित करना संभव नहीं है। एनडीए को हराने के लिए अलग अलग राज्यों के ताकतवर दलों को मिलकर एकसाथ एनडीए के खिलाफ चुनाव में उतरना होगा। अलग अलग प्रांतों की दलों के साथ पारदर्शी संबंधों को प्राथमिकता देनी होगी। विपक्षी दलों ने इस तरह की नीतियों को अपनाकर ही एनडीए को मात दे सकती है। पिछले चुनाव की अपेक्षा यह चुनाव अलग है तीसरे मोर्चा को इसबार एनडीए से टक्कर नहीं है इसबार मोर्चे को भाजपा और इसके अहंकारी नेताओं से संघर्ष है जिन्होंने विकास और सुधार के नाम पर देश की सरकारी संस्थाओं को ही तहस नहस करने का अभियान चला रखा है। इस तरह की विध्वंसक सरकार के झांसे में आने की बजाय इसको साफ करने की पहल होनी चाहिए। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रहने के उपरांत बागी होकर भाजपा से अलग हुए दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा ने समग्र भारत के साथ बातचीत करते हुए उपरोक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के मन में विपक्षी दलों की एकता को लेकर हमेशा संदेह होता रहा है। और सता पाते ही विपक्षियों के स्वार्थ और लालसा इतना हावी हो जाता है कि कोई भी सरकार  अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है। विपक्षी दलों की यही कमजोरी एनडीए की सबसे बड़ी ताकत है। यहां पर एनडीए के प्रधानमंत्री और भी अहंकारी नेता विपक्षियों की एकता पर मजाक उडा रहे हैं तो यहां पर विपक्ष को अपना चाल चरित्र चेहरा बदलने की जरूरत है। जनता की कसौटी पर विपक्ष को अपना नजरिया बदलना होगा। चुनाव से पहले एकमत एकनिष्ठ और एक उम्मीद की तरह सामने आना होगा। प्रधानमंत्री बनने के लिए लालायित नेताओं को अपनी लालसा को पीछे रखकर ही चुनाव में आगे आना होगा। तभी जनता के बीच जुड़ते छूटते टूटते रहने की नीतियों से पार पाना होगा। श्री सिन्हा ने कहा कि इस समय देश गंभीर संकट के दौर में है। और देशहित के लिए विपक्षियों को एक होकर पूरे देश में ताकतवर क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लेकर साथ-साथ चलने की एक होने ओर दिखाने की जरूरत है। ताकि एनडीए को मुकाबला करने से पहले हार का भय प्रकट हो।
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन को श्री सिन्हा ने देश के लिए नुकसानदेह  कहा है। अलग दिखने दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी एक सुपरमैन की तरह अपने आपको प्रतिष्ठित करना चाहते थे इसी सनक में नोटबंदी लागू करके देश की चूलें हिला दी। यह एक सनकी नेता का सबसे बीमार फैसला साबित हुआ। काला धन वापसी और अर्थव्यवस्था को बर्बाद होते देखकर भी प्रधानमंत्री की बेशर्मी कायम रही। श्री सिन्हा ने पीएम को जुमलामंत्री घोषित किया। एक वाचाल और अपने वायदों को भूलकर फिर नया वादा करने का दु:साहस भी करे। इस तरह पद की गरिमा को नेस्तनाबूद भी केवल मौजूदा पीएम ही कर सकते हैं। आज पीएम की घोषणा का कोई अर्थ नहीं रह गया है। यह इस पद की गरिमामय छवि के लिए दाग है।     भाजपा से अलग होने के बाबत पूछे जाने पर श्री सिन्हा ने कहा कि जहां पर वरिष्ठों की इज्जत न रहे। जहां पर पार्टी को खड़ा करने वाले दिग्गज नेताओं की उपेक्षा हो जहां पर इन्हें बोझ मान लिया गया हो। वहां पर रहकर अपनी उपेक्षा का जहर पीकर रोजाना घुट घुट कर जीने से बेहतर है कि ऐसी ताकतों को बेनकाब किया जाए। उन्होंने कहा कि मैं जनता के प्रति उत्तरदायी हूं। जनता ने मुझे बनाया है तो मैं किसी भी कीमत पर जनता को ठगने वाली ताकतों से आगाह करना ही था। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरा बेटा यदि उसी सरकार में मंत्री है तो क्या मैं खामोश रहूं। बेटा का कैरियर सोच विचार नीतियां अलग है। हम पिता पुत्र के बीच राजनीति कभी बाधक नहीं है। यदि उनको उसे रखना हो या निकाल बाहर करना है। यह पूरी तरह उनलोगों के बीच का रिश्ता है।  और इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। आम चुनाव में आपकी क्या और कैसी भूमिका रहेगी? इसपर ठहाका लगाते हुए कहा कि मेरी एक ही भूमिका रहेगी कि जनता को इस सरकार के खिलाफ जन-जागरण किया जाए और विपक्षी एकता को सबल किया जाए।।
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