सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े से सीबीआई महाभारत पर विराम / अनामी शरण बबल

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सुप्रीम हथौड़े के बाद सीबीआई महाभारत पर दो सप्ताह की रोक
सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम आदेश के साथ ही केंद्रीय जांच ब्यूरो के भीतर आंतरिक करप्शन और एक दूसरे को नीचा दिखाने के खतरनाक महाभारत पर फिलहाल दो सप्ताह का विराम लग गया है। सीबीआई के भीतर राजनीतिक हस्तक्षेप से भी निजात मिलेगी। केंद्रीय सतर्कता आयोग ( सीवीसी) को दो सप्ताह के भीतर सारे मामले की जांच करके सुप्रीम कोर्ट को सारी जानकारी देनी है। जिसके आधार पर ही आगे की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का कोई सुप्रीम निर्देश देगी।   उल्लेखनीय है कि सरकारी तोता के रूप में विख्यात सीबीआई के भीतर सबकुछ गड़बड़ चल रहा है। इसके निदेशक आलोक वर्मा और नंबर टू अधिकारी राकेश अस्थाना के बीच पिछले काफी समय से संवादहीनता कायम है। एक दूसरे को नीचा और करप्ट दिखाने और साबित करने की कोशिश चल रही थी। दोनों के बीच हालात इस तरह बिगड़ गये कि वे दोनों आपस में ही उलझ गए।  एक दूसरे के करप्शन की शिकायत सीवीसी में कर दी। सीवीसी में लगातार शिकायतों और आरोप पत्र के बावजूद सीवीसी की खामोशी से ब्यूरो के भीतर-बाहर माहोल गरमाया रहा।  और अंतत देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में पीएमओ ने आधी रात को नया अंतरिम निदेशक बैठा कर दोनों अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। जिसके खिलाफ निदेशक आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट चले गये थे। आज सुबह राकेश अस्थाना ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर कर दी है।
—: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सारे मामले पर 15दिन का विराम लगाते हुए सीवीसी को दो सप्ताह में जांच रिपोर्ट देने का निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की देखरेख में सीवीसी जांच रिपोर्ट पर काम करेगी।  यानी 12 नवम्बर तक तोता पर कोई भी पोलिटिकल हथौड़ा नहीं चलेगा। 12 नवम्बर की सुनवाई और फैसले के बाद ही सीबीआई के भविष्य का कोई फैसला संभव है। कोर्ट के फैसले का केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्वागत किया तो पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी कोर्ट के सकारात्मक दृष्टिकोण पर संतोष व्यक्त किया। कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने एनडीए सरकार पर सरकारी संस्थाओं को तोड़ने का आरोप लगाया।
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