चुनावों से पहले शाह ने फिर से अलापा राम मंदिर राख

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नई दिल्ली: 2019 में आम चुनाव और इस साल के अंत तक 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने फिर राम मंदिर कार्ड खेलना शुरु कर दिया है। 2014 के आम चुनावों में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण बीजेपी का मुख्य ऐजंडा था लेकिन जैसा की देखा गया है अभी तक इस मुद्दे में राजनीति के अलावा कुछ भी नही हुआ है।

इसी को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक पर बातचीत करते समय राम मंदिर के निर्माण के तथ्य से किनारा नहीं किया जा सकता है।

अमित शाह ने गुरुवार को कहा, ‘इस पूरे विवाद में इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि अयोध्या में राम मंदिर ध्वस्त हुआ है। जब हम इसपर बातचीत करेंगे तो आप उस घटना से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं जो 600 साल पहले घटी थी।’ उन्होंने यह बातें नई दिल्ली के डॉक्टर अंबेडकर अतंरराष्ट्रीय केंद्र में दो किताबों- अयोध्या के चश्मदीद और युद्ध में अयोध्या की रिलीज पर कहीं। इन किताबों के लेखक पत्रकार हेमंत शर्मा हैं। इस कार्यक्रम में उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी थे।

भाजपा प्रमुख का बयान ऐसे समय पर आया है जब सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार कर रही है कि इस मामले को पांच जजों की बेंच को हस्तांतरित किया जाए या नहीं। इस मामले पर फैसला इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जहां मंदिर बनवाने की चाह रखने वाले लोगों की मांग है कि विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर जल्द से जल्द फैसला दिया जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट अपने पुराने आदेश पर दोबारा विचार कर रही है। जिसमें उनसे कहा था कि मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।

भाजपा के उस दृष्टिकोण को दोहराते हुए कि सभी संवैधानिक माध्यमों के जरिए यह कोशिश की जाएगी कि अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बने, शाह ने कहा कि इस पूरे विवाद की जड़ यह है कि वहां पर एक मंदिर था। जिसे कि 16वीं शताब्दी में तोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि भगवान राम हिंदू देवताओं में काफी श्रद्धेय हैं और इसी वजह से भारत के गांवों में उनके मंदिर बने हुए हैं।

शाह ने आगे कहा, ‘लेकिन एक ऐसा पल आया था जब लोगों ने अपना धैर्य खो दिया और स्वतंत्र भारत में जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। छह सदी पहले अयोध्या में मंदिर ध्वस्त होने के बाद से ही लोगों का आंदोलन चल रहा था और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि संस्कृति की जीत नहीं हो जाती।’ भागवत ने भी मंदिर के जल्द निर्माण पर बल देते हुए कहा कि समाज को जल्द न्याय दिए देने की जरुरत है।

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