सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद कर देश मना रहा है शिक्षक दिवस

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शिक्षक ईश्वर का दिया हुआ वह उपहार है, जो बिना किसी स्वार्थ व भेद भाव के अपने हर शिष्य को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करता है। शिक्षक का दर्जा हमेशा से ही पूजनीय रहा है। एक शिष्य के लिए उसके शिक्षक की बताई हुई बात पत्थर की लकीर के समान होती है, वह अपने पूजनीय माता-पिता को तो गलत बता देता है परंतु अपने शिक्षक की बात को समर्थन देने में पीछे नहीं हटता।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को होती है। उनके जन्मदिन के मौके पर पूरा देश 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है। राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। वह पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे। वह पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

शिक्षक दिवस क्या है और यह क्यों मनाया जाता है?
जिंदगी के बारे में हमारी समझ विकसित करने में माता-पिता के बाद सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षकों की ही होती है। वह ही हमें बताते हैं कि अपने ज्ञान के आधार पर आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतर दुनिया का निर्माण कैसे कर सकते हैं। शिक्षक हमारे दोस्त, मार्गदर्शक और पथ-प्रदर्शक होते हैं। खासकर स्कूल में हमारी बढ़ती उम्र और किशोरावस्था से युवा होने तक की अवधि में।

शिक्षक ही होते हैं, जो हमें उच्च स्तरीय ज्ञान देते हैं। खासकर उस समय जब हम युवावस्था या वयस्क होने के पड़ाव पर होते हैं। वे हमें ऐसा बनाते हैं कि हम अपने आसपास की दुनिया में अपनी ओर से कोई योगदान देने की स्थिति में आ सके। हमारी पढ़ाई-लिखाई के दौरान जो भी हम सीखते हैं, उसका इस्तेमाल समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए करना सिखाते हैं।

ऐसी स्थिति में यह बेहद जरूरी है कि हम अपने शुरुआती पढ़ाई के दौरान ही शिक्षकों की भूमिका को समझ सके और शिक्षक दिवस ही वह तरीका है जब भारत में सभी छात्र अपने शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाते हैं।

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