पदोन्नति में आरक्षण: एससी, एसटी समाज से नही बल्कि कर्मचारियों से जुड़ा मुद्दा देखा जाए

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

नई दिल्ली: पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सपाक्स के अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह मामला पूरे SC, ST समाज से नहीं बल्कि सिर्फ SC, ST कर्मचारियों से जुड़ा मुद्दा है। इसे SC, ST समाज के सशक्तिकरण से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि कर्मचारियों की निगाह से देखा जाना चाहिए। पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले उन के पिछड़ेपन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व ना होने के आंकड़े जुटाना जरूरी है।

एम नागराज फैसले को पुनर्विचार के लिए भेजे जाने का विरोध करते हुए वरिष्ठ वकील राकेश त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र की ओर से पेश एटॉर्नी जनरल द्वारा समाज में ऐसे लोगों पर हो रहे अत्याचार या SC, ST दूल्हे की बारात में दुर्व्यवहार का उदाहरण दिया जाना ठीक नहीं है क्योंकि यह मामला पहले से ही नौकरी कर रहे कर्मचारियों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि नौकरी में शुरुआती प्रवेश के दौरान पूरे SC, ST वर्ग को पिछड़ा मानकर आरक्षण दिया जाना ठीक है लेकिन यह मामला पदोन्नति में आरक्षण का है। ऐसा नहीं है कि कोई चतुर्थ या तृतीय  श्रेणी कर्मचारी भर्ती हुआ है और एससी, एसटी होने के कारण नहीं बढ़ पा रहा। पदोन्नति में आरक्षण देते समय पिछड़ापन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है इस लिहाज से एम नागराज फैसला बिल्कुल सही है।

कानून कहता है कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व ना होने पर सरकार आरक्षण का प्रावधान कर सकती है लेकिन आरक्षण देना अनिवार्य नहीं है। ऐसे में जब तक आंकड़े नहीं होंगे तब तक उनके पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का पता नहीं चल सकता।

इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि सरकार जो काम संसद के जरिए कानून संशोधन कर नहीं कर पाई वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के जरिए कराना चाहती है। धवन ने कल अपनी दलीलें पूरी कर ली है जबकि राकेश द्विवेदी आज गुरुवार को भी बहस जारी रखेंगे।

क्या है एम नागराज फैसला 

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में एम नागराज फैसले में कहा था की पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले सरकार को उनके पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने होंगे। केंद्र सहित कई राज्यों ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है जिस पर आजकल सुनवाई चल रही है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.