स्टालिन के अध्यक्ष बनने के बाद अलागिरी ने डीएमके में वापसी करने की इच्छा जाहिर की

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चेन्नई, तमिलनाडू: एमके स्टालिन को द्रमुक का अध्यक्ष चुने जाने के दो दिन बाद उनके बड़े भाई एमके अलागिरी के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। चार साल पहले पार्टी से निष्कासित हो चुके अलागिरी ने गुरुवार को कहा, “‘अगर द्रमुक मुझे वापस लेती है तो मुझे स्टालिन का नेतृत्व स्वीकार होगा। लेकिन उन्हें (स्टालिन को) यह मंजूर नहीं है।’’ पार्टी से निष्कासन के बाद अलागिरी लगातार स्टालिन के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। स्टालिन और अलागिरी, दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की पहली पत्नी दयालु के बेटे हैं।

करुणानिधि के निधन के कुछ दिन बाद 67 साल के अलागिरी खुलकर स्टालिन के विरोध में आ गए थे। तब उन्होंने कहा था, ‘‘मेरे पिता के प्रति निष्ठा रखने वाले पार्टी के सभी लोग मेरे साथ हैं। तमिलनाडु की जनता और द्रमुक का पूरा कैडर भी मेरे साथ है। इसलिए अब आने वाला वक्त जवाब देगा।’’ करुणानिधि का लंबी बीमारी के बाद 7 अगस्त को चेन्नई के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया था।

2014 में द्रमुक से निष्कासित किए गए थे अलागिरी

अलागिरी को मार्च 2014 में करुणानिधि ने ही द्रमुक से निष्कासित कर दिया था। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियां चलाने और वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बयानबाजी करने का आरोप था। पार्टी से निष्कासन पर अलागिरी ने कहा था कि करुणानिधि उनके और स्टालिन के बीच भेदभाव करते हैं। करुणानिधि ने स्टालिन को 2014 में ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था और जनवरी 2017 में कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था।

स्टालिन पार्टी के दूसरे अध्यक्ष

65 साल के एमके स्टालिन को 28 अगस्त को पार्टी महापरिषद की बैठक में द्रमुक अध्यक्ष चुना गया। करुणानिधि के बाद स्टालिन पार्टी के दूसरे अध्यक्ष हैं। करुणानिधि 1969 से द्रमुक के अध्यक्ष थे।

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