अटल बिहारी वाजपेयी एक शख्सियत का जीवन परिचय

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– 25 दिसंबर 1924 में ग्वालियर में जन्म हुआ

– सरस्वती शिशु मंदिर से स्कूली शिक्षा पूरी हुई

– लक्षमीबाई कॉलेज ग्वालियर से स्नातक की पढ़ाई की

– डीएवी कॉलेज कानपुर से परास्नातक की उपाधि ली

भारत छोड़ों आंदोलन से सियासी सफर की शुरुआत

1942: भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया, संघ की गतिविधि में शामिल होने के कारण 24 दिन जेल में रहे

1951: जनसंघ में शामिल हुए, 1957 में दल के नेता के रूप में स्थापित हुए

1957: पहली बार उत्तरप्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए

1962: राज्यसभा के लिए पहली बार निर्वाचित हुए

1968: जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने

1975: आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया

1977-79: मोराजी देसाई सरकार में विदेशमंत्री बने

1980: भाजपा की स्थापना की और नई पार्टी के अध्यक्ष बने

1996: लोकसभा चुनाव जीतने पर प्रधानमंत्री बने, पर 13 दिन ही चली सरकार

19 मार्च 1998: मध्यावधि चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन को जीत मिली, दूसरी बार बने प्रधानमंत्री

17 अप्रैल 1999: एक वोट से विश्वास मत हारने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया

13 अक्तूबर 1999: चुनाव में जीत मिलने के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली

13 मई 2004: लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को मिली हार के बाद प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दिया

फरवरी 2009 : फेफड़े में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया, वेंटिलेटर पर रखे गए

25 दिसंबर 2014: सरकार ने उनके जन्म दिन को गुड गवर्नेंस डे के तौर पर मनाने का ऐलान किया।

27 मार्च 2015: देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया गया।”

16 अगस्त 2018:  भारतीय राजनीति के ‘अजातशत्रु’ अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे, 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में हुआ निधन।

आजीवन अविवाहित

उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.

पुरस्कार

  • सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये दिसंबर 2014 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है. इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है. इस सम्मान की स्थापना 02 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी.
  • उन्हें बांग्लादेश सरकार ने वर्ष 2015 में फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड से नवाजा था यह अवार्ड उन्हें वर्ष 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने में बांग्लादेश की मदद करने के लिए दिया गया था. उस वक्त वह लोकसभा के सदस्य‍ थे.
  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में मध्य‍ प्रदेश के भोज मुक्त विद्यालय ने भी डी लिट की उपाधि दी थी.
  • उन्हें वर्ष 1994 में श्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
  • कानपुर विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में उन्हें डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया था.
  • उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण के नागरिक सम्मा‍न से नवाजा गया था.

पोखरण में परमाणु परीक्षण

पोखरण में 11 मई और 13 मई 1998 को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी को चौंका दिया था. यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था. इससे पहले वर्ष 1974 में पोखरण 1 का परीक्षण किया गया था. दुनिया के कई संपन्न देशों के विरोध के बावजूद अटल सरकार ने इस परीक्षण को अंजाम दिया था, जिसके बाद अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोपियन यूनियन समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह की रोक भी लगा दी थी जिसके बावजूद अटल सरकार ने देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की. पोखरण का परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे बड़े फैसलों में से एक था.

कारगिल युद्ध

पाकिस्तानी सेना और उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया था. अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया था. इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ था और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गया था.

संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिंदी में भाषण

वर्ष 1977 में मोरार जी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे, वे तब पहले गैर कांग्रेसी विदेश मंत्री बनें थे. इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया था और दुनियाभर में हिंदी भाषा को पहचान दिलाई. हिंदी में भाषण देने वाले अटल भारत के पहले विदेश मंत्री थे. पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी थी. इतना ही नहीं भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर अटल बिहारी वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया था.

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