“सियालकोट की सरहद” पुस्तक का विमोचन

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भोपाल, मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी में पदस्थ निरीक्षक चौधरी मदन मोहन समर की काव्य रचना “सियालकोट की सरहद“ पुस्तक का विमोचन सोमवार को पीटीआरआई में पुलिस महानिदेशक ऋषि शुक्ला ने किया। इस अवसर पर शुक्ला ने कहा कि मदन मोहन समर सरीखे कवि अपनी रचनाओं से सरहद से लेकर समाज तक की चुनौतियों के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित करते है। उन्होंने कहा कि पुलिस की सबसे ज्यादा कठनाई समाज में व्याप्त बुराईयों से बढ़ जाती है। विभाग को ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो आने वाली पीढ़ी को और संवेदनशील बना सकें।

‘सियालकोट की सरहद’ पुस्तक के विमोचन में मौजूद अतिथि गण

इस अवसर पर अति.पुलिस महानिदेशक पवन जैन ने कहा कि मदन मोहन समर का यह काव्य खंड देश प्रेम से ओत-प्रोत है। उन्होंने कहा कि इस रचना में वर्ष 1965 के युद्ध का बढ़ा मार्मिक चित्रण किया गया है। कार्यक्रम में उपस्थित कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले तथा सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. कर्नल वी.पी.सिंह ने कहा कि युद्ध के ऊपर लिखना एक अद्भुत कार्य है। देश प्रेम की इन ओजपूर्ण रचनाओं से समाज को समझाया जा सकता है कि वर्दी कितनी प्रतिकूल परिस्थितियों में कार्य करती है।

विमोचन समारोह में उपस्थित साहित्यकार पंकज सुबीर ने कहा कि सियालकोट की सरहद 1965 के युद्ध की वो अनकही गाथा है जिसमें सरहद पर डटे सैनिकों तथा उन सैनिकों को भोजन कराती भारतीय महिलाओं के देशप्रेम का मार्मिक चित्रण है।

इस अवसर पर इस रचना के रचियता मदन मोहन समर ने बताया कि उन्होंने काफी समय पहले 1965 के युद्ध पर एक कविता लिखी थी लेकिन यह विषय इतना विशाल था कि केवल एक काव्य में इसे समेटा नहीं जा सकता था, इसलिए उन्होंने इस काव्य खंड की रचना का निर्णय लिया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी रचना के कुछ अंश भी पढ़कर सुनाएं। समर की यह काव्य रचना “सियालकोट की सरहद” 1965 के भारत-पाक युद्ध में सियालकोट सेक्टर में भारतीय महिलाओं द्वारा सेना का हौसला बढ़ाने और सैनिकों के प्रति कर्तव्य निभाने की वास्तविक घटना पर आधारित खण्डकाव्य है जिसमें 63 बन्ध हैं।

पुस्तक विमोचन के इस समारोह में पुलिस मुख्यालय के कई वरिष्ठ अधिकारी – कर्मचारी तथा साहित्य से जुड़ी कई शख्सियतें उपस्थित थी।

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