हरिवंश बने राज्यसभा के उप सभापति, विपक्ष एकता पर सवालिया निशान

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नई दिल्ली: राज्यसभा में बहुमत ना होने के बावजूद आज सत्ता पक्ष ने विपक्ष को उपसभापति चुनाव में ऐसी पठखनी दी कि कांग्रेस चारो खाने चित हो गई है। वोटिंग में एनडीए उम्मीदवार जेडीयू नेता हरिवंश को जहां 125 वोट मिले वहीं विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को 105 वोट से ही संतोष करना पड़ा और हार उनकी झोली में आई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अब सबको हरि कृपा चाहिए, ये सदन अब हरि भरोसे रहेगा। मैं बीके हरि प्रसाद जी को भी बधाई देता हूं कि परिणाम पता होने के बाद भी चुनाव लड़ना बड़ी बात है। वोटिंग के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री ने नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश को बधाई दी।

वहीं सदन में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने नवनिर्वाचित उपसभापति को बधाई दी। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले उम्मीदवार पार्टियों के होते हैं लेकिन संवैधानिक पद पर आने के बाद फिर किसी पार्टी से जुड़ाव नहीं रह जाता। सभापति और उपसभापति जितने पक्ष के होते हैं उतने ही विपक्ष के होते हैं। गुलाम नबी ने नवनिर्वाचित उपसभापति को विपक्ष का ख्याल रखने की बात कही। गुलाम नबी ने कहा कि सत्ता पक्ष तो पहले से ही ताकतवर है।

राज्यसभा में बहुमत ना होने के बावजूद आज सत्ता पक्ष ने विपक्ष को उपसभापति चुनाव में ऐसी पठखनी दी कि कांग्रेस चारो खाने चित हो गई है।

जानिए विपक्षी महागठबंधन को कैसे मिली शिकस्त
एनडीए की ताकत राज्यसभा में बहुमत के ज़रुरी आंकड़े से कम थी। इस चुनाव में बीजेडी के 9 सांसदों की भूमिका काफी अहम थी। राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव की घोषणा के बाद पीएम मोदी और जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से फोन पर बात कर एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश के लिए समर्थन मांगा और नवीन पटनायक ने नीतीश कुमार को इसके लिए हामीं भर दी।

पीएम मोदी और नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से फोन पर बात करके समर्थन के लिए बात उसी समय तक पक्की भी कर ली थी। जब तक विपक्ष अपना उम्मीदवार भी तय नहीं कर पाया था। यही वजह थी कि शाह और मोदी की जोड़ी अपनी जीत के लिए पहले से ही आशवस्त थी और इसका नतीजा भी वही हुआ जिसकी एनडीए को पूरी उम्मींद थी और वो विपक्ष में सेंध लगाने में न सिर्फ कामयाब हुए बल्कि इस जीत से वे यह संदेश देने में भी कामयाब रहे कि विपक्ष का महागठबंधन कितना खोखला है।

(फोटो: ट्रिब्यून इंडिया)

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