ब्याजखोरों को रोकने में नाकाम सरकार, आत्महत्या करता किसान

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देश में किसानों और गरीबों की आत्महत्याएं रोकने के लिए कर्जमाफी उतनी असरदार इसलिए साबित नहीं होगी क्योंकि सरकार, सरकारी बैंकों का कर्जा तो माफ कर सकती है, लेकिन उन किसान का क्या जो ब्याजखोरों के जाल में हैं? उन पर मूल से कई गुना ज्यादा ब्याज है, नतीजा? अपनी इज्जत बचाने के लिए आत्महत्या! मतलब? बदमाशी ब्याजखोरों की, सजा किसानों और सरकार को!

कर्जदारों की सुरक्षा के लिए दो सुझाव चर्चा में थे, एक… चेकबंदी, जिसके तहत सारे पुराने चेक अवैध करार दिए जाएं और नए चेक जारी किए जाएं, और दो… लेनदेन और चेक बाउंस विवाद में आयकर विभाग की भूमिका हो, ताकि अवैध लेन-देन को रोका जा सके!

इधर, उत्तराखंड में साहूकारों…मनी लेंडर्स के लिए नए नियम तय कर दिए गए हैं जिससे यदि ऋण लेने वालों से धोखाधड़ी हुई तो साहूकारों पर शिकंजा कसेगा! यही नहीं, अब वे बैंकिंग के रूप में भी काम नहीं कर सकेंगे, अर्थात… साहूकारों के पास पैसा जमा नहीं किया जा सकेगा?

खबर है कि… आरबीआई के निर्देश पर इस प्रतिबंध को प्रावधान का हिस्सा बनाया गया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड साहूकार विनियम नियमावली-2018 पर मुहर लगा दी. इससे पहले राज्य सरकार वर्ष 2016 में उत्तरप्रदेश मनी लेंडिंग एक्ट के स्थान पर अपना एक्ट लागू कर चुकी है.

इस एक्ट के अनुसार नियमों को अब बनाया गया है.  साहूकारी व्यवसाय में लगे लोगों के लिए नियम लागू करने का निर्णय लिया गया है.

उधर, राजस्थान में भी सूदखोरी का धंधा गहरी जड़ें जमा चुका है. प्रेस रिपोर्ट्स पर भरोसा करें तो साहूकारी कानून के अंतर्गत सरकार को प्रत्येक वर्ष  ब्याज की दरें निर्धारित करनी थी, परन्तु तकरीबन एक दशक में इनके लिए कोई ब्याज दरें तय नहीं हुई?

रिपोर्ट्स बताती हैं कि… राज्य में सूदखोरी के प्रतिदिन औसतन डेढ़ सौ मामले सामने आते हैं और हर महीने करीब डेढ़ हजार मामले दर्ज होते हैं? हर साल लगभग बीस हजार लोग सूदखोरी से परेशान होकर पुलिस की मदद मांगने पहुंचते हैं?

राजधानी जयपुर में केवल 28 मनी लेंडर्स ही ऐसे हैं जिनका साहूकारी एक्ट में रजिस्ट्रेशन है, तो पूरे प्रदेश में ये 100 से भी कम हैं, जबकि हजारों लोग इस धंधे से जुड़े हैं? मतलब, राजस्थान में ब्याज पर पैसे देने का काम करने वालों में 99 प्रतिशत लोगों के पास मनी लेंडर्स लाइसेंस नहीं है!

ब्याज पर पैसा देने वालों के ब्याज दर की कोई सीमा नहीं है और इसीलिए थोड़े से समय में व्यक्ति अकल्पनीय कर्ज में डूब जाता है? ब्लैंक चेक, हस्ताक्षरित खाली स्टेम्प पेपर ऐसे हथियार हैं जिनके दम पर बगैर रसीद वसूली जारी रहती है!

कर्जदारों की सुरक्षा के लिए दो सुझाव चर्चा में थे, एक… चेकबंदी, जिसके तहत सारे पुराने चेक अवैध करार दिए जाएं और नए चेक जारी किए जाएं, दो… लेनदेन और चेक बाउंस विवाद में आयकर विभाग की भूमिका हो, ताकि अवैध लेन-देन को रोका जा सके!

विभिन्न राज्यों में ब्याज पर पैसे की लेनदेन के लिए अलग-अलग नियम बने हुए हैं…

जहां आध्रप्रदेश में वर्ष 2000 में मनी लेंडर एक्ट प्रभावी हुआ जिसके तहत ब्याज दर 2 प्रतिशत प्रति माह से ज्यादा नहीं किए जाने का प्रावधान है, वहीं तेलंगाना में आंध्र प्रदेश मनी लेंडर्स एक्ट 1939 ही लागू है जिसमें आरबीआई की ओर से निर्धारित ब्याज दर से अधिक पैसा वसूलने पर मनी लेंडर्स के खिलाफ  सजा का प्रावधान है.

पश्चिम बंगाल मनी लैंडिंग एक्ट 1940 के तहत असुरक्षित लोन के लिए सालाना ब्याज दर 12.5 प्रतिशत और सुरक्षित लोन के लिए 10 प्रतिशत दरें हैं.

बिहार में 1938 तो उड़ीसा में 1939 में बने कानून के अंतर्गत सुरक्षित लोन के लिए सालाना ब्याज दर 9 प्रतिशत और असुरक्षित के लिए 12 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित है.

केरल में मनी लेंडर एक्ट 1958, कर्नाटक में मनी लेंडर एक्ट 1961, उत्तर प्रदेश में रेगुलेशन ऑफ मनी लैंडिंग एक्ट 1976, राजस्थान में मनी लेंडर एक्ट 1963 आदि के जरिए प्रादेशिक सरकारों को सुरक्षित/असुरक्षित लोन की सालाना ब्याज दर निर्धारित किए जाने के लिए समय-समय पर नोटिफिकेशन जारी करने की जिम्मेदारी दी गई है.

जानकारों का मानना है कि केन्द्र सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठा कर नए कानून बनाने चाहिए, इनसे ब्याजखोरी पर नियंत्रण तो होगा ही, सरकार किसानों/गरीबों की आत्महत्या के मुद्दे पर बेहतर दिशा दे पाएगी?

( ये लेखक के अपने विचार हैं)

फोटो: इंडिया टुडे

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