नर्मदा नदी की दुख व्यथा

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इसे आप शोकगीत की तरह पढ़ सकते हैं। मैं नर्मदा हूं। भारत की प्रमुख नदियों में से एक। पुराणों के मुताबिक मुझे प्राचीनकाल से पूजा जाता है। वेदों में मेरे बारे में लिखा गया है- ‘गंगा में सौ बार स्नान के पुण्य से ज्यादा नर्मदा के दर्शन मात्र का है।’ मेरे किनारों पर कई तपस्वियों, साधु- संतों ने तपस्या की। आसपास के लोग मुझे माँ की तरह मान देते हैं, परकम्मा करते हैं।  मेरे कंकर भी स्वयंभू शंकर है। मेरे पवित्र जल से भोलेनाथ का अभिषेक कराया जाता है। सुबह-सुबह मेरे घाटों पर आरती उतारी जाती है। लोग बडी आस्था से मुझे आचमन करते हैं। मेरे जल से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। भुनसार और गौधूली सांझ की मद्धम हवा में झांझ और लोकगीत की स्वरलहरियों से मेरा प्रवाह उल्लसित हो उठता है। कल-कल, छल-छल पहाडों और चट्टानों से अठखेलियां करते हुए मैं अपनी धुन में चलती हूं। सदियों से मैं इसी अंदाज़ में जीती रही हूँ। लेकिन आज मैं बहुत व्यथित हूं। बीते कुछ सालों से मुझे राजनीति का मोहरा बना लिया गया है। मेरे नाम पर राजनीति की जंग छिडी हुई है। राजनीति चमकाने के लिए मेरी परिक्रमाएं होने लगीं। साढे 6 करोड पौधे मेरे किनारों पर लगाए गए ताकि मेरी रगों में फिर पहले सी जलधाराएं बहे।  पौधारोपण कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। अफसोस पौधें कहीं नजर नहीं आते।  कुछ बाबाओं ने पौधारोपण  घोटाले की आड़ में राजपाट हथिया लिया। बडे-बडे वादे महज आश्वासन बनकर रह गए। आज फिर मैं सुर्खियों में हूं। मेरी छाती छलनी कर रेत निकालने का करोबार तो बरसों से होता आ रहा है। डंपरों और भारी भरकम मशीनों ने मुझे बहुत आहत किया। गर्मी में हाड -कंकाल दिखने लगता है। अमरकंटक से लेकर खंभात की खाडी तक शहर, गांव के हजारों नालों का गंदा पानी मुझमें उडेला जाता है। मेरे किनारों पर ही चिताएं जलाई जाती हैं। अब तक मैंने सारी त्रासदी को भुगता। मैंने सारे जुल्म सहे।

लेकिन तब बहुत दुखी हुई, जब गुरुवार की शाम धार से गुजरते वक्त मुझे शराब का चढावा चढाया गया। मैंने जो त्रास भोगा वो असहनीय, घोर पीडादायक, अक्षम्य, गंभीर और चिंताजनक है। दूध, दही, शहद, हल्दी, कुमकुम, फल, फूल, बिल्वपत्र का चढावा तो मुझे ग्राह्य है लेकिन धार जिले के पेडखड, सेमल्दा और बडदा से गुजरने वक्त 54 ड्रम भर कर मुझे शराब चढाई गई। मन विचलित हो उठा। बहुत भारी मन से मैं शराब का घूंट निगल कर आगे बढ सकी। करोडों लोगों की आस्था मुझ पर हैं। अब क्या आंखे मूंद करश्रद्धालुओं को शराब का आचमन करना होगा। सच कहूं तो आज मैं बहुत व्यथित हूं। प्रदुषणमुक्त करने के नाम पर सेवा यात्रा में करोडों रुपए खर्च किए गए। आस्था रखने वालों को लगा कि वे अब मेरी सेहत का ख्याल रखने लगे हैं मगर सरकारी मुलाजिम ही मेरा दम घोटने में लगे हैं। कुछ तो शर्म करते। गांव-शहर की चौपाल और चौराहों से लगाकर विधानसभा और संसद के गलियारों तक मुझे उछाला गया. नदी घोटालों पर कोई रोटियां सेंकता है तो कोई वोटबैंक की राजनीति। मैं कलयुग की जिंदा नदियों में से एक हूं। मुझे तुम जीवनदायिनी कहते हो और खुद मेरा ही जीवन दांव पर लगाते हो। मैं तुम्हारे कितने पाप धोऊंगी। अब तो पापों का घडा इतना भर चुका है कि खुद मैं ही मैली होने लगी हूं।

धार के आबकारी विभाग ने नर्मदा मे बहाई 54 ड्रम अवैध शराब

धार जिले के मनावर, गंधवानी, कुक्षी और धरमपुरी इलाकों में अवैध शराब बनाए जाने की सूचना जिले के आबकारी विभाग को कई दिनों से मिल रही थी। आबकारी विभाग ने एक संयुक्त कार्रवाई में गुरुवार शाम छापा मारा। नर्मदा किनारे पेडखड, सेमल्दा और बडदा गांवों में  छापे के दौरान भारी मात्रा में कच्ची शराब सहित शराब बनाने की सामग्री जब्त की गई। मौके से शराब के 54 ड्रम भी बरामद किए गए। शराब और सामान की कीमत लाखों रुपए बताई गई। आबकारी विभाग ने पंचनामा बनाकर शराब और सामान को नर्मदा नदी में बहा दिया। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद आबकारी विभाग अब सफाई दे रहा है। सहायक आबकारी अधिकारी शरदचंद्र निगम ने बताया कि लहान नर्मदा नदी के अंदर से ही लाया गया था। हो सकता है थोडा बहुत झलक गया हो। नर्मदा नदी के बाहर जो गड्ढे हैं वहां शराब बहाई जा सकती है। नर्मदा में शराब बहाने जैसा कुछ नहीं है।

(पुष्पेन्द्र वैद्य, वरिष्ठ पत्रकार। ये लेखक के अपने विचार हैं)

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