पाकिस्तान की नई सरकार क्या अपने वादों पर खरी उतर पाएगी?

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पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री को यह मौका मिल रहा है वह चाहे तो पाकिस्तान का इतिहास बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह बात अब उस नयी शख्सियत पर निर्भर रहेगी कि वह पाकिस्तान की बरसों पुरानी रवायत बदलकर कुछ नया कर दिखाए या फिर पाकिस्तान को अनुयायी और तालिबानों का सहयोगी बनकर इतिहास में दफ़्न हो जाए।

पांच साल पहले 2013 में इमरान खान ने  ‘नया पाकिस्तान’ का नारा दिया था। इमरान खान ने इस चुनाव में शरीफ और भुट्टो परिवार के खिलाफ आक्रामक प्रचार किया, जो राजनैतिक रूप से बेहद ताकतवर परिवार माने जाते हैं। नवाज शरीफ का नाम पनामा लीक्स में आने के बाद  इमरान खान  के निशाने पर शरीफ और उनकी पार्टी पीएमएल-(नवाज) रही।

पिछले वर्ष इमरान खान का एक बयान याद आता है जो बताता है कि इमरान खान की सोच किस तरह की रही होगी। इस बयान  के अनुसार  इमरान खान ने कहा था कि तालिबानों को पकिस्तान के हर जिले में अपने कार्यालय खोलने चाहिए।

इमरान खान की तलाकशुदा एक बीवी ने उन पर तमाम व्यक्तिगत लांछन लगाए थे, उन्हें लगता होगा कि इससे इमरान खान को चुनाव में नुकसान होगा। लेकिन इमरान खान यहां आगे निकल गए। इमरान ने  रिवर्स स्विंग के जनक माने जाने वाले पाकिस्तानी तेज गेंदबाज सरफराज नवाज का चेला बनकर दुनिया में ‘रिवर्स स्विंग किंग’ का खिताब हासिल किया था। उन्होंने साबित कर दिया कि वे केवल खेल की राजनीति ही नहीं, राजनीति का खेल भी जानते और समझते हैं।

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ का कहना है की वो 14 अगस्त से पहले देश के प्रधानमंत्री की शपथ लेगें। इससे पहले इमरान कई मुद्दों पर पाकिस्तान के लिए काम करने को लेकर जनता को संबोधित कर चुके हैं। भारत पर उन्होने कहा है की अगर भारत एक कदम आगे बढ़ता है तो पाकिस्तान दो कदम आगे बढेगा। अब देखने वाली बात ये होगी की सरकार इमरान खान चलाते हैं या पाकिस्तान सेना क्योंकि पाकिस्तान का इतिहास हमसें से सेना के हाथों द्वारा चलाया जाता है।

(डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी, वरिष्ठ पत्रकार व ब्लॉगर। ये लेखक के अपने विचार हैं)

 

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